HBSE Haryana Results: टॉपर ऋषिता ने हासिल किया 100 फीसदी मार्क्स, करना चाहती है ग्रामीणों की सेवा
बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन हरियाणा (BSEH) ने कल जुलाई की देर शाम को कक्षा 10 वीं का रिजल्ट 2020 जारी कर दिया गया. रिजल्ट में लड़कियों ने बाजी मारी है. हिसार के नारनौंद की ऋषिता ने बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन हरियाणा (BSEH) की कक्षा 10 के परिणाम में 100 प्रतिशत लाकर टॉप पर है. जबकि अन्य चार लड़कियों ने दूसरा स्थान प्राप्त किया. चारों लड़कियों- उमा, कल्पना, निकिता मारुति सावंत, स्नेह ने 99.8 प्रतिशत अंक हासिल किया है, जबकि ऋषिता ने 500 में पूरे 500 अंक हासिल किया है.
बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन हरियाणा (BSEH) ने कक्षा 10 वीं का रिजल्ट 2020 जारी कर दिया गया. रिजल्ट में लड़कियों ने बाजी मारी है. हिसार के नारनौंद की ऋषिता ने बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन हरियाणा (BSEH) की कक्षा 10 के परिणाम में 100 प्रतिशत लाकर टॉप पर है. जबकि अन्य चार लड़कियों ने दूसरा स्थान प्राप्त किया. चारों लड़कियों- उमा, कल्पना, निकिता मारुति सावंत, स्नेह ने 99.8 प्रतिशत अंक हासिल किया है, जबकि ऋषिता ने 500 में पूरे 500 अंक हासिल किया है.
रिपोर्ट के मुताबिक टैगोर सीनियर सेकेंडरी स्कूल ऋषिता स्कूल से लौटकर रोज चार से पांच घंटे पढ़ाई करती थी. उसने बताया कि उसने कभी भी स्कूल के अलावा अलग से ट्यूशन नहीं लिया. हमेशा माता-पिता और शिक्षकों को सहयोग मिला. बोर्ड की तैयारियों के दौरान खूब मेहनत की थी, इसलिए रिजल्ट को लेकर कोई टेंशन नहीं था. अपने दोस्तों की सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए ऋषिता ने कहा कि मुझे खुशी है कि मेरे दो दोस्तों और सहपाठियों को परीक्षा में दूसरा स्थान मिला. मैं अपनी सफलता अपने शिक्षकों को समर्पित करना चाहता हूं, उनके बिना यह हासिल नहीं किया जा सकता है. मैंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से दूरी बनाए रखी थी.
ऋषिता के पिता हरियाणा सरकार के सहकारिता विभाग में सहायक लेखा परीक्षक हैं और जींद में तैनात हैं, जबकि उसकी मां टैगोर सीनियर सेकेंडरी स्कूल नारनौंद में एक प्राथमिक शिक्षिका हैं . अपने आगे के प्लान को लेकर ऋषिता ने बताया की वो डॉक्टर बन कर ग्रामीणों की सेवा करना चाहती है. उसने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में डॉक्टरों की कमी से कारण कई ग्रामीणों की मौत हो जाती है. इसलिए वो गांवों में अपनी सेवा देकर ग्रामीणों की जान बचाना चाहती है.
ऋषिता ने कहा कि उसने कभी भी हरियाणा टॉपर बनने का सपना नहीं देखा था. परीक्षा के दिनों को छोड़कर खुद को तनावमुक्त करने के लिए बैडमिंटन भी खेला. बाकि छात्रों को संदेश देते हुए उसने कहा कि सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दें और परिणाम के बारे में कभी नहीं सोचें. ऋषिता के पिता नरेश कुमार ने कहा कि उन्होंने अपनी बेटी पर पढ़ाई के लिए कभी दबाव नहीं डाला. वह देर रात तक पढ़ाई करती थी और वह सेल्फ स्टडी पर ज्यादा ध्यान देती थी. अब, मैं मेडिकल क्षेत्र में जाना चाहती है तो हम उसका पूरा साथ देंगे.
Posted By: Pawan Singh