दिल्ली आबकारी घोटाला : हाईकोर्ट ने CBI और ED से मीडिया रिपोर्ट और वीडियो क्लिप पेश करने का दिया निर्देश
हाईकोर्ट ने कारोबारी विजय नायर की अर्जी पर यह आदेश जारी किया है. विजय नायर ने अपनी अर्जी में दावा किया है कि जांच एजेंसी इस मामले के संबंध में संवदेनशील सूचनाएं मीडिया को लीक कर रही हैं, जिससे बतौर आरोपी उनके अधिकारों का हनन हो रहा है.
नई दिल्ली : दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को इस मामले में प्रेस रिपोर्ट और प्रेस में जारी बयानों और विज्ञप्तियों को पेश करने का निर्देश दिया है. दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और कारोबारी विजय नायर मुख्य आरोपी के तौर पर शामिल हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह जांच एजेंसी द्वारा जारी किए गए आधिकारिक बयानों एवं विज्ञप्तियों पर गौर करेगा और आकलन करेगा कि टेलीविजन चैनलों ने इस मुद्दे पर जो खबरें दिखाई गईं, वे उन बयानों और विज्ञप्तियों पर आधारित थीं या फिर केवल उनकी ‘कल्पना की उड़ान’ थीं.
कारोबारी विजय नायर ने दर्ज की अर्जी
हाईकोर्ट ने कारोबारी विजय नायर की अर्जी पर यह आदेश जारी किया है. विजय नायर ने अपनी अर्जी में दावा किया है कि जांच एजेंसी इस मामले के संबंध में संवदेनशील सूचनाएं मीडिया को लीक कर रही हैं, जिससे बतौर आरोपी उनके अधिकारों का हनन हो रहा है. जस्टिस यशवंत वर्मा ने कहा कि इस मामले में आगे बढ़ने से पहले अदालत प्रतिवादी नंबर एक (सीबीआई) और प्रतिवादी नंबर दो (ईडी) से उनके द्वारा इस आपराधिक मामले की जांच के सिलसिले में प्रेस को जारी किए गए सभी बयानों एवं विज्ञप्तियों को पेश करने का अनुरोध करती है. हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 नवंबर की तारीख तय की.
कल्पना के आधार पर प्रसारण खतरनाक
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि यह खुलासा तत्काल, प्राइम टाइम या दिन में कभी भी किया जा रहा है. विजय नायर कार्यक्रमों का आयोजन करने वाली एक कंपनी के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और आम आदमी पार्टी (आप) के संचार प्रभारी भी हैं. उनकी ओर से पेश वरिष्ठ वकील दयाल कृष्णन ने दलील दी कि यदि कोई न्यूज ग्रुप कल्पना के आधार पर चीजें फैला रहा है, तो यह खतरनाक है. इस पर जस्टिस यशवंत वर्मा ने कहा कि तब, यह हमारे लिए खतरे की घंटी है.
अपने मन से चीजें गढ़ रहे हैं चैनल
वरिष्ठ वकील दयाल कृष्णन ने कहा कि यह मामला सुनवाई के अहम पड़ाव पर है तथा जब उससे जुड़ी चीजें मीडिया में आती हैं, तो उनके (मुवक्किल के) अधिकारों का पूरी तरह हनन होता है. उन्होंने कहा कि मीडिया तक सारी सूचनाएं जांच एजेंसियों के माध्यम आ रही हैं. उन्होंने कहा कि अदालत को यह परखना चाहिए कि क्या टेलीविजन चैनल उन्हें दी जाने वाली सूचना से परे कुछ प्रसारित तो नहीं करते हैं. वरिष्ठ वकील दयाल कृष्णन ने कहा, ‘हमें नहीं मालूम है कि क्या ये चैनल महज अपने मन से चीजें गढ़ लेते हैं.’ उन्होंने कहा कि इस मामले में वादा माफ गवाह का बयान एक निचली अदालत के सामने रिकॉर्ड किया जा रहा है तथा यदि वह भी मीडिया में आ जाता है, तो यह आरोपी के मामले को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा. इस पर जस्टिस यशवंत वर्मा ने कहा कि कैमरा के सामने अपराध दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत दर्ज किया जाना वाला बयान यदि लीक हो सकता है, तो यह गंभीर मुद्दा है.
हमारे सामने रखिए सारे बयान और विज्ञप्ति : हाईकोर्ट
हाईकोई ने सीबीआई और ईडी से कहा कि उसने लोगों के सामने जो सूचनाएं रखीं है, वे उसके सामने पेश करें. अदालत ने कहा कि क्या मीडिया (टीवी चैनल्स) विशुद्धत: काल्पनिक बातें प्रसारित करता है या कुछ अलग भी होती हैं. जस्टिस वर्मा ने कहा कि आपने जो भी बयान या विज्ञप्तियां जारी की हों, उसे हमारे सामने रखिए. आपको उन्हें जारी करने का हक है. आप (जांच एजेंसियां) उन्हें (मीडिया को) जांच के बारे में जो कुछ कहते हैं, वह ऐसी चीज होती है, जिसे प्रसारित किया जाना चाहिए. हम यह देखना चाहते हैं कि क्या यह सही एवं सच है या उनकी कोरी कल्पना है. हम देखना चाहते हैं कि क्या प्रसारित या प्रकाशित सामग्री बढ़ाचढ़ाकर पेश की गई चीजे हैं या उनकी कल्पना की उड़ान या क्या उसमें कुछ मिर्च-मसाला जोड़ा गया है.
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आरोपों के अधिकारों की रक्षा करना हमारा उद्देश्य : जस्टिस वर्मा
जस्टिस यशवंत वर्मा ने आगे कहा कि अदालत को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि याचिकाकर्ता किसी पार्टी का सदस्य है या नहीं. अदालत ने कहा कि हमारी रुचि बस आरोपी के अधिकारों की रक्षा करना है. हम चाहते हैं कि लोगों के सामने जो चीजें रखी हैं और मीडिया में जो पेश किया गया, क्या वह उसका सही प्रतिनिधित्व है या उससे परे है. अभियोजन पक्ष के अनुसार, दिल्ली के सत्तारूढ़ दल आप से संबद्ध विजय नायर ने अन्य लोगों के साथ मिलकर साजिश रची तथा उस साजिश के तहत दिल्ली सरकार की 2021-22 की आबकारी नीति बनाई गई एवं उसे लागू किया गया.