Health: आम लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवा मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोला है. इस केंद्र पर कई तरह की दवा सस्ती कीमत पर उपलब्ध होती है. इस केंद्र ने एक नयी उपलब्धि दर्ज की है. इस साल अक्टूबर तक एक हजार करोड़ रुपये का कारोबार किया है. पिछले साल यह आंकड़ा दिसंबर में हासिल हो पाया था. मौजूदा समय में देश में 14 हजार जन औषधि केंद्र हैं. मंत्रालय का मानना है कि आम लोगों के बढ़ते भरोसे और गुणवत्ता पूर्ण दवा की उपलब्धता के कारण कारोबार लगातार बढ़ रहा है.
इस केंद्र पर सस्ती और गुणवत्ता पूर्ण दवा की उपलब्धता के कारण लोगों का स्वास्थ्य सेवा पर होने वाला खर्च कम हो रहा है. इस साल सितंबर महीने में ही जन औषधि केंद्र पर 200 करोड़ रुपये के दवा की बिक्री का रिकॉर्ड दर्ज किया गया. पिछले 10 साल में जन औषधि केंद्र की संख्या में 170 गुणा की वृद्धि दर्ज की गयी है. वर्ष 2014 में ऐसे केंद्र की संख्या सिर्फ 80 थी, जो अब बढ़कर 14 हजार हो गयी है.
अगले दो साल में 25 हजार केंद्र खोलने की है योजना
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अनुसार आने वाले दो साल में जन औषधि केंद्र की संख्या बढ़कर 25 हजार होने का अनुमान है. जन औषधि केंद्र में 2047 तक की दवा और 300 तरह के सर्जिकल उपकरण मिलते हैं. इस केंद्र पर कार्डियोवस्कुलर, एंटी कैंसर, एंटी डायबिटीज, एंटी एलर्जिक, गैस्ट्रो संबंधी दवा और उपकरण मिलते हैं और रोजाना लगभग 10 लाख लोग जन औषधि केंद्र जाते हैं. यह पहल समुदायों को सशक्त बनाने के साथ ही गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा की पहुंच आम लोगों तक सुनिश्चित करने के प्रयास में मददगार साबित हो रही है.
इन केंद्रों पर जेनेरिक दवा मिलती है. दवा बनाने वाली कंपनी का पेटेंट खत्म होने के बाद जेनेरिक दवा का निर्माण किया जा सकता है. भारत जेनेरिक दवा बनाने का बड़ा बाजार है. भारत में कई दवा कंपनी अपने ब्रांड की जेनेरिक दवा का निर्माण करती है. उदाहरण के तौर पर बुखार की पेरासिटामोल दवा कैल्पोल, क्रोसिन, डोलो और अन्य नाम से बाजार में उपलब्ध है. जन औषधि केंद्र जेनेरिक दवा बेचती है, जो बाजार में उपलब्ध पॉपुलर ब्रांड की दवा से 50-60 फीसदी सस्ती होती है.