नयी दिल्ली : बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ के ‘त्वचा से त्वचा’ (Skin To Skin) वाले आदेश को दी गयी चुनौती की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ आज सुनवाई करेगी.
मालूम हो कि बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने पॉक्सो एक्ट से जुड़े एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि ‘त्वचा से त्वचा’ (Skin To Skin) स्पर्श किये बिना नाबालिग पीड़िता को छूना यौन अपराध की श्रेणी में नहीं आता है. यह पॉक्सो एक्ट के तहत यौन उत्पीड़न नहीं है. साथ ही कोर्ट से तीन साल सजा पाये अभियुक्त को रिहा करने का आदेश दे दिया था.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ के आदेश पर 27 जनवरी को ही रोक लगा दी थी. इसके बाद राष्ट्रीय महिला आयोग और अन्य ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण कानून को परिभाषित करनेवाले फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की.
शीर्ष न्यायालय ने 27 जनवरी को फैसले पर रोक लगाते हुए अभियुक्त और महाराष्ट्र सरकार को दो सप्ताह में जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया था. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भी फैसले को अभूतपूर्व बताते हुए कहा था कि इससे गलत नजीर पेश होगी.
मालूम हो कि बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामले में 19 जनवरी को सुनवाई करते हुए एक फैसला दिया था. अपने फैसले में अदालत ने कहा था कि अभियुक्त के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा-8 के तहत मामला नहीं बनता. क्योंकि, उसका पीड़िता से ‘त्वचा से त्वचा’ (Skin To Skin) संपर्क नहीं हुआ.
वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर कहा है कि शारीरिक संपर्क की ऐसी व्याख्या की अनुमति दी जायेगी, तो समाज में यौन उत्पीड़न का शिकार हुई महिलाओं के मूलभूत अधिकारों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा.
मालूम हो कि अदालत ने कहा था कि अभियुक्त ने नाबालिग पीड़िता के कपड़े नहीं हटाये थे. इसलिए इस मामले को पॉक्सो की धारा-8 के तहत यौन दुर्व्यवहार में नहीं रखा जा सकता.