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उत्तर भारत में बारिश से चारों ओर पानी का तांडव, लोग बेहाल, नीदरलैंड का माॅडल अपनाने की जरूरत, जानें खासियत…

यह स्थिति सिर्फ दिल्ली, हिमाचल प्रदेश या उत्तराखंड की ही नहीं है, बल्कि मानसून के दौरान भारी बारिश से देश के कई राज्य मसलन बिहार, उत्तर प्रदेश, असम, बंगाल महाराष्ट्र सहित दक्षिणी हिस्से के भी कई राज्य प्रभावित होते हैं.

हिमाचल प्रदेश में जारी भारी बारिश से आम लोगों का जीना मुहाल हो गया है. भारी बारिश की आशंका को देखते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज एक वीडियो मैसेज जारी कर आम लोगों से घर में रहने का आग्रह किया है. उन्होंने लोगों से कहा है कि बेहतर होगा कि आप लोग अगले 24 घंटे तक अपने-अपने घरों में ही रहें.

बारिश ने तोड़ा 50 साल का रिकाॅर्ड

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में इस मानसून बारिश ने पिछले 50 वर्षों का रिकाॅर्ड तोड़ दिया है. अगले 24 घंटे में भी भारी बारिश की आशंका है इसलिए प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए आम लोगों से यह अपील की है. ज्ञात हो कि उत्तर भारत के कई हिस्सों में रविवार को मूसलाधार बारिश हुई और भूस्खलन की घटनाएं भी हुईं जिसकी वजह से अबतक प्राप्त जानकारी के अनुसार 19 लोगों की मौत हुई है. देश की राजधानी दिल्ली में यमुना उफान पर है जिसकी वजह से दिल्ली सरकार ने आपात बैठक बुलायी है.


हर साल बाढ़ की वजह से जाती है सैकड़ों जान

यह स्थिति सिर्फ दिल्ली, हिमाचल प्रदेश या उत्तराखंड की ही नहीं है, बल्कि मानसून के दौरान भारी बारिश से देश के कई राज्य मसलन बिहार, उत्तर प्रदेश, असम, बंगाल महाराष्ट्र सहित देश के दक्षिणी हिस्से के भी कई राज्य प्रभावित होते हैं. सैकड़ों लोगों की जान जाती है और लाखों की संपत्ति बर्बाद होती है. इस बात की जानकारी सरकारों को भी है, बावजूद इसके अबतक देश में कोई एेसा मैकनिज्म डेवलप नहीं हुआ है जिससे बारिश और उससे उत्पन्न समस्याओं से निपटा जा सके.

नीदरलैंड के फ्लड-डिफेंस सिस्टम से सीख लेने की जरूरत

गौर करने वाली बात यह है कि विश्व में कई देश ऐसे हैं जो बाढ़ की त्रासदी सहन करने के बाद उससे उबरे हैं और उसपर लगाम कसा है. ऐसा ही एक देश है नीदरलैंड, जिससे भारत को सीख लेने की जरूरत है. नीदरलैंड एक ऐसा देश है जो बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित था, लेकिन उसने अपने काबिल इंजीनियरों की मदद से ऐसे उपाय किये जिसके दम पर वे अब पानी से घबराते नहीं उसका इस्तेमाल करते हैं. नीदरलैंड में 1953 में भारी बारिश से 600 स्क्वायर मील का हिस्सा पानी में डूब गया, जिससे भयंकर तबाही हुई. दो हजार की जान गयी और लाखों की संपत्ति का नाश हुआ. वजह था नीदरलैंड के 25 फीसदी हिस्से का समुद्र तल से नीचे रहना, जिसपर उनकी 20 प्रतिशत आबादी बसती है. 1953 से इस देश में फ्लड-डिफेंस सिस्टम पर काम होना शुरू हुआ और आज इनकी तकनीक विश्व में एक उदाहरण है. नीदरलैंड ने समुद्र के किनारे तटबंध बनाये हैं जो बाढ़ को रोकने का काम करते हैं.

अमरनाथ यात्रा को रोका गया

भारी बारिश की वजह से कांवर यात्रा को रोका गया है साथ ही अमरनाथ यात्रा भी सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं. रामबन में जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग का एक हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ है जिसके कारण यात्रा रूकी हुई है और छह हजार से अधिक लोग फंसे हुए हैं. प्रशासन इन्हें जरूरी सुविधा मुहैया करा रहा है.

दिल्ली में आपात बैठक

दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की है कि लगातार बारिश के मद्देनजर सभी स्कूल सोमवार को बंद रहेंगे. वहीं आज केजरीवाल ने यमुना के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए आपात बैठक बुलाई है. उत्तर प्रदेश में भी भारी बारिश होने की खबर है. वहीं आईएमडी का कहना है कि जुलाई के पहले आठ दिनों में भारत के कई हिस्सों में हुई भरपूर बारिश ने पूरे देश में बारिश की कमी को पूरा कर दिया है. मानसून के मौसम में कुल वर्षा 243.2 मिमी तक पहुंच गई है, जो सामान्य 239.1 मिमी से दो प्रतिशत अधिक है. हालांकि, बारिश विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग हुई है.

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