Hemant Soren: की याचिका पर तत्काल सुनवाई को राजी हुआ शीर्ष अदालत, 17 मई को होगी सुनवाई
Hemant Soren: कथित जमीन घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय को तीन दिन के अंदर जवाब देने का नोटिस जारी किया. यही नहीं आम चुनाव को […]
Hemant Soren: कथित जमीन घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.
याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय को तीन दिन के अंदर जवाब देने का नोटिस जारी किया. यही नहीं आम चुनाव को देखते हुए सोरेन की याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए भी अदालत तैयार हो गया. न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने सोरेन की याचिका पर 17 मई को सुनवाई करेगा.
सोरेन को भी चुनाव प्रचार के लिए मिलनी चाहिए राहत
सोरेन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि ऐसे ही मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी गयी है और सोरेन को भी चुनाव प्रचार के लिए राहत मिलनी चाहिए. सिब्बल ने कहा कि केजरीवाल मामले में दिया गया आदेश सोरेन पर भी पूरी तरह लागू होता है. सुप्रीम कोर्ट चुनाव प्रचार करने के लिए केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी है और सोरेन को भी चुनाव प्रचार के लिए राहत हासिल करने का अधिकार है.
पहले तत्काल सुनवाई के लिए राजी नही था कोर्ट
खंडपीठ ने सोरेन की याचिका पर सुनवाई के लिए 20 मई को तारीख तय की थी. लेकिन वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि मामले की सुनवाई पहले होनी चाहिए और यही पीठ मामले की सुनवाई करे. चुनाव को देखते हुए मामले की तत्काल सुनवाई की जरूरत है. सिब्बल ने कहा कि अगर पीठ मामले की सुनवाई पहले नहीं करेगा तो वे याचिका वापस लेने पर विचार करेंगे. समय से पहले सुनवाई नहीं होने पर चुनाव खत्म हो जायेगा और सोरेन के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए. शीर्ष अदालत ने पहले हमें हाईकोर्ट जाने का आदेश दिया और हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के दो महीने बाद आदेश पारित किया. यह हमारी गलती नहीं है. अदालत से हम न्याय की उम्मीद रखते हैं. सिब्बल ने कहा कि अगर खंडपीठ याचिका पर तत्काल सुनवाई नहीं करना चाहता है तो वह सोरेन को केजरीवाल की तरह अंतरिम जमानत दे. इस पर पीठ ने कहा कि वह बिना प्रवर्तन निदेशालय को सुने आदेश पारित नहीं कर सकता है.