हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की पेंशन से जुड़ा बिल लोकसभा में पारित, जानें इस विधेयक के बारे में
Parliament Winter Session 2021 लोकसभा में बुधवार को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश (वेतन और सेवा की शर्तें) संशोधन विधेयक, 2021 पारित हो गया. यह विधेयक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को पेंशन की अतिरिक्त मात्रा की पात्रता की तिथि को स्पष्ट करता है.
Parliament Winter Session 2021 लोकसभा में बुधवार को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश (वेतन और सेवा की शर्तें) संशोधन विधेयक, 2021 पारित हो गया. यह विधेयक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को पेंशन की अतिरिक्त मात्रा की पात्रता की तिथि को स्पष्ट करता है. यह विधेयक हाई कोर्ट के जजों (Salaries and Conditions of Service) अधिनियम, 1954 और सुप्रीम कोर्ट जजों (वेतन और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1958 में और संशोधन करेगा.
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट (वेतन एवं सेवा शर्तों) संशोधन विधेयक 2021 को लोकसभा में 30 नवंबर को कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच इसे पेश किया था. इसमें कहा गया है कि उच्च एवं उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को पेंशन की अतिरिक्त मात्रा या परिवार पेंशन के लिये कोई हकदारी हमेशा उस माह की पहली तारीख से होगी, जब पेंशन भोगी या कुटुम्ब पेंशनभोगी निर्दिष्ट आयु पूरी कर लेता है.
The High Court and Supreme Court Judges (Salaries and Conditions of Service) Amendment Bill, 2021 passed in Lok Sabha.
The Bill seeks to bring clarity concerning the date of eligibility of additional quantum of pension to a retired judge.
— ANI (@ANI) December 8, 2021
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजों की पेंशन की अतिरिक्त मात्रा को यथास्थिति 80 वर्ष, 85 वर्ष 90 वर्ष और 100 वर्ष की आयु पूरी कर लेने पर मंजूर किया जा रहा है. इस बदलाव से सुप्रीम कोर्ट के 31 जजों सहित हाई कोर्ट के 1079 जजों को भी लाभ होगा. इसके अलावा करीब 2500 रिटायर्ड जजों को भी इसका फायदा पहुंचेगा.
दरअसल, हाई कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेन्द्र दत्त ज्ञानी द्वारा दायर रिट याचिका में गुवाहाटी हाई कोर्ट ने 15 मार्च 2018 के अपने आदेश में कहा कि पूर्वोत्तर उच्च न्यायालय न्यायाधीश अधिनियम की धारा 17ख के अनुसार पहली श्रेणी में अतिरिक्त पेंशन की मात्रा का फायदा किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश को उनकी 80 वर्ष की आयु पूरी होने के पहले दिन से उपलब्ध होगा. इसके बाद, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने भी देश की शीर्ष अदालत एवं उच्च न्यायालय सेवानिवृत्त न्यायाधीश संघ द्वारा दायर रिट याचिका में 3 दिसंबर 2020 को दिये आदेश में इस संबंध में उल्लेख किया था.