High Court: क्या ससुर की प्रॉपर्टी में भी है दामाद का अधिकार?

High Court: आइए जानते हैं ससुर की संपत्ति में दामाद का कितना अधिकार है? और हाईकोर्ट ने इस मामले में क्या आदेश दिए हैं?

By Aman Kumar Pandey | October 12, 2024 10:19 AM

High Court: शादी हर व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है और इसे एक बेहद जरूरी निर्णय माना जाता है. अक्सर यह देखा गया है कि बेटी के मायके वाले उसकी ससुराल में उसकी स्थिति को बेहतर बनाए रखने के लिए अक्सर झुक जाते हैं, ताकि उनकी बेटी को कोई परेशानी न हो. लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि वे ससुराल पक्ष की हर मांग, चाहे वह सही हो या गलत, को पूरा करते रहें. ऐसा करना बिल्कुल भी सही नहीं है. इसी संबंध के एक मामले में कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि दामाद का अपने ससुर की संपत्ति पर कोई कानूनी अधिकार नहीं होता है, भले ही उसने उस संपत्ति को खरीदने या बनाने में आर्थिक मदद क्यों न की हो.

हालांकि, यदि ससुर अपनी संपत्ति दामाद के नाम पर हस्तांतरित कर देते हैं, तो वह संपत्ति दामाद की कानूनी संपत्ति बन जाती है और ससुर का उस पर कोई अधिकार नहीं रहता. लेकिन, अगर संपत्ति का हस्तांतरण धोखाधड़ी या जबरदस्ती से हुआ है, तो इसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है. कोर्ट में मामला ले जाना एक कानूनी अधिकार होता है. इसी प्रकार पत्नी के मामले में भी कुछ ऐसा ही होता है. पत्नी का अपने पति या ससुराल की पैतृक संपत्ति पर कोई कानूनी अधिकार नहीं होता. अगर पति का निधन हो जाता है, तो पत्नी को केवल उतना ही हिस्सा मिलता है, जितना उसके पति का होता.

इसे भी पढ़ें: बिना अदालत गए अपने जमीन से कैसे हटाएं अवैध कब्जा? सुप्रीम कोर्ट ने बताया

हालांकि, पैतृक संपत्ति के संदर्भ में, यदि पति के बाद सास-ससुर का निधन हो जाता है, तो महिला को संपत्ति पर अधिकार मिल सकता है. इसके लिए यह शर्त है कि सास-ससुर ने अपनी संपत्ति किसी और के नाम वसीयत के माध्यम से हस्तांतरित न की हो. तभी पत्नी को उस संपत्ति में अधिकार मिल सकते हैं. केरल उच्च न्यायालय ने भी इसी प्रकार के एक फैसले में यह स्पष्ट किया कि दामाद का अपने ससुर की संपत्ति या भवन पर कोई कानूनी अधिकार नहीं होता. न्यायमूर्ति एन अनिल कुमार ने यह आदेश कन्नूर के तलीपरंबा के डेविस राफेल द्वारा दायर एक अपील को खारिज करते हुए दिया. डेविस राफेल ने पय्यन्नूर उप-न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें उनके ससुर हेंड्री थॉमस की संपत्ति पर उनके दावे को खारिज कर दिया गया था.

पत्नी के मामले में भी यही स्थिति है. पत्नी का ससुराल की पैतृक संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता. यदि पति की मृत्यु हो जाती है, तो पत्नी को केवल उतना हिस्सा मिलता है जितना उसके पति का होता था. अगर पति के निधन के बाद सास-ससुर का निधन होता है और उन्होंने संपत्ति किसी अन्य के नाम वसीयत न की हो, तो पत्नी को संपत्ति पर अधिकार मिल सकता है. 

इसे भी पढ़ें: पिता की संपत्ति में बेटियां आधे की हकदार, जानें प्रॉपर्टी पर कब नहीं कर सकती दावा 

संपत्ति विवाद का क्या है पूरा मामला?

मामला यह है कि संपत्ति से जुड़े इस विवाद (property dispute) में ससुर ने ट्रायल कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया था, जिसमें उन्होंने अपने दामाद डेविस के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की थी. ससुर का आरोप था कि डेविस उनकी संपत्ति में अवैध रूप से घुसपैठ कर रहे हैं और उनके घर और संपत्ति के शांतिपूर्ण कब्जे में दखल दे रहे हैं. मामले की जानकारी के अनुसार, हेंड्री ने दावा किया कि उन्होंने थ्रीचंबरम स्थित सेंट पॉल चर्च से यह संपत्ति उपहार में पाई थी, जो चर्च के फादर जेम्स नसरथ के माध्यम से उन्हें मिली थी. हेंड्री का कहना था कि उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से पक्का मकान बनाया है, जिसमें वह अपने परिवार के साथ रहते हैं. उन्होंने तर्क दिया कि उनके दामाद का इस संपत्ति पर कोई कानूनी अधिकार नहीं है, इसलिए वह कोई दावा नहीं कर सकते.

दूसरी ओर, दामाद ने अपनी दलील में कहा कि यह संपत्ति संदिग्ध है क्योंकि यह उपहार परिवार के लिए चर्च के अधिकारियों द्वारा दिया गया था. उनका कहना था कि उन्होंने हेंड्री की इकलौती बेटी से शादी की थी और शादी के बाद उन्हें परिवार का सदस्य मान लिया गया था, इसलिए उन्हें उस घर में रहने का अधिकार है. निचली अदालत ने यह फैसला सुनाया था कि दामाद का ससुर की संपत्ति पर कोई कानूनी हक नहीं है. वैसे भी, यह कानून पहले से ही स्पष्ट है कि दामाद ससुर की संपत्ति पर दावा नहीं कर सकता. हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि दामाद को परिवार का सदस्य मानना मुश्किल है. अदालत ने दामाद की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें उसने कहा था कि शादी के बाद उसे परिवार का सदस्य मानकर अपनाया गया था. अदालत ने इसे एक शर्मनाक तर्क करार दिया.

इसे भी पढ़ें: High Court: पति की संपत्ति पर पत्नी का कितना अधिकार? पूरा या फिर आधा

Next Article

Exit mobile version