High Court: पत्नी के नाम खरीदी गई प्रॉपर्टी का मालिक कौन? खुद पत्नी या फिर परिवार

High Court: पत्नी के नाम खरीदी गई संपत्ति का मालिक कौन होगा? आइए जानते हैं.

By Aman Kumar Pandey | February 14, 2025 8:00 AM

High Court: अक्सर लोग अपनी संपत्ति को अपनी पत्नी के नाम पर रजिस्टर करवाते हैं, क्योंकि ऐसा करने से उन्हें स्टांप ड्यूटी में छूट सहित अन्य कई लाभ मिलते हैं. हालांकि, इस प्रक्रिया के बाद कई लोगों को यह नहीं पता होता कि इस संपत्ति पर कानूनी रूप से कौन-कौन अधिकार जता सकता है. इसी संदर्भ में हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि यदि पत्नी की कोई स्वतंत्र आय का स्रोत नहीं है, तो पति द्वारा उसके नाम पर खरीदी गई संपत्ति को पारिवारिक संपत्ति माना जाएगा.

पत्नी की स्वतंत्र आय नहीं होने पर संपत्ति पर परिवार का अधिकार

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक संपत्ति विवाद से जुड़े मामले में यह स्पष्ट किया कि यदि पत्नी के पास कोई स्वतंत्र आय का स्रोत नहीं है, तो उसके नाम पर खरीदी गई संपत्ति पारिवारिक संपत्ति मानी जाएगी. कोर्ट ने कहा कि भारतीय समाज में सामान्यतः पति अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदते हैं, और यह अक्सर पारिवारिक हितों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है. इसी कारण, यदि यह प्रमाणित नहीं हो जाता कि संपत्ति पत्नी की व्यक्तिगत आय से खरीदी गई है, तो इसे पति की आय से खरीदी गई संपत्ति माना जाएगा.

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 के तहत निर्णय

कोर्ट ने इस फैसले को भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 के तहत न्यायोचित ठहराया. इस अधिनियम के अनुसार, जब कोई पति अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदता है, तो यह माना जा सकता है कि यह संपत्ति पारिवारिक आवश्यकताओं और हितों को ध्यान में रखकर खरीदी गई है. खासतौर पर तब, जब पत्नी के पास कोई स्वतंत्र आय का स्रोत न हो.

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संपत्ति विवाद और हाई कोर्ट का निर्णय

यह मामला सौरभ गुप्ता नामक व्यक्ति द्वारा दायर किया गया था, जिन्होंने अपने पिता द्वारा खरीदी गई संपत्ति में अपने सह-स्वामित्व का दावा किया था. सौरभ ने अदालत से अनुरोध किया कि उसे अपने पिता की संपत्ति में एक चौथाई हिस्से का हकदार माना जाए. उन्होंने यह तर्क दिया कि यह संपत्ति उनके दिवंगत पिता द्वारा खरीदी गई थी, इसलिए यह उनके परिवार की संपत्ति मानी जानी चाहिए, न कि केवल उनकी मां की व्यक्तिगत संपत्ति.

सौरभ गुप्ता ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अपील दायर की. उन्होंने अदालत से यह अनुरोध किया कि संपत्ति को किसी तीसरे पक्ष को ट्रांसफर करने पर रोक लगाई जाए. इस मामले में उनकी मां ने अदालत में लिखित बयान दिया कि यह संपत्ति उनके पति ने उन्हें उपहार स्वरूप दी थी, क्योंकि उनके पास कोई स्वतंत्र आय का स्रोत नहीं था.

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हाई कोर्ट का फैसला और उसका प्रभाव

इस मामले की सुनवाई करते हुए निचली अदालत ने अंतरिम रोक लगाने की सौरभ की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में अपील की. हाई कोर्ट ने इस अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि यदि पत्नी की कोई स्वतंत्र आय नहीं है और संपत्ति पति द्वारा खरीदी गई है, तो इसे पारिवारिक संपत्ति माना जाएगा. इस स्थिति में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर न किया जाए, क्योंकि यह संपत्ति संयुक्त हिंदू परिवार की संपत्ति मानी जाएगी.

इलाहाबाद हाई कोर्ट का यह फैसला उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदते हैं. इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि यदि पत्नी के पास कोई स्वतंत्र आय का स्रोत नहीं है, तो उस संपत्ति पर पूरे परिवार का अधिकार हो सकता है, न कि केवल पत्नी का. यह फैसला भविष्य में संपत्ति विवादों को हल करने में एक मिसाल के रूप में काम करेगा और पारिवारिक संपत्ति के अधिकारों को लेकर कानूनी स्थिति को और स्पष्ट करेगा.

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