नयी दिल्ली : पूर्वी लद्दाख के कुछ इलाकों में भारत और चीनी सैनिकों के बीच तनावपूर्ण गतिरोध अब भी कायम है. इस बीच मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेना प्रमुखों से बैठक भी हुई. जिसमें फैसला लिया गया कि चीन के साथ लगने वाली करीब 3,500 किमी लंबी सीमा के रणनीतिक महत्व के क्षेत्रों में भारत अपनी ढांचागत विकास की परियोजनाएं बंद नहीं करेगा. साथ ही कहा गया कि भारत चीन के किसी भी आक्रामक सैन्य रुख के आगे रुकने वाला नहीं है.
High-level Indian and Chinese military commanders met at designated points along the LAC (line of actual control) on May 22nd and May 23rd to defuse the current situation in Eastern Ladakh: Top Sources tell ANI pic.twitter.com/vRUrDU2Cpx
— ANI (@ANI) May 26, 2020
इस बीच न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि मौजूदा तनाव को खत्म करने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC ) में भारत और चीनी सैनिकों के बीच अहम बैठक हुई थी. सूत्रों ने बताया कि भारत अपनी सीमा को लेकर हमेशा सचेत है और किसी भी गतिविधि का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है. हालांकि भारत हमेशा शांति का पक्षधर रहा है. सूत्रों के मुताबिक भारत चीन बॉर्डर पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा और शांतिपूर्ण तरीके को ही प्राथमिकता दी जाएगी.
Sources have told ANI that no compromise will be made with regard to maintaining the sanctity of India’s borders and that while India believes in peace, it is firm and resolute when it comes to defence of its territory.
— ANI (@ANI) May 26, 2020
भारतीय सेना के शीर्ष सैन्य कमांडर बुधवार से शुरू हो रहे तीन दिवसीय सम्मलेन के दौरान पूर्वी लद्दाख के कुछ इलाकों में भारत और चीनी सैनिकों के बीच तनावपूर्ण गतिरोध की गहन समीक्षा करेंगे.
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सूत्रों ने कहा कि कमांडर जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर भी चर्चा करेंगे. इसके साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर भी इस दौरान चर्चा की जाएगी. उन्होंने कहा कि सम्मेलन के दौरान मुख्य रूप से ध्यान पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर ही होगा जहां पैंगोंग त्सो, गल्वान घाटी, देमचोक और दौलत बेग ओल्डी में भारतीय और चीनी सैनिक आमने-सामने अड़े हैं.
इस इलाके के सभी संवेदनशील क्षेत्रों में भारत और चीन दोनों ने अपनी मौजूदगी महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा दी है, जिससे संकेत मिलते हैं कि इस टकराव का जल्द कोई समाधान शायद न मिले. दोनों तरफ से इसे बातचीत के जरिये सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है. पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब बिगड़ गई जब पांच मई की शाम को करीब 250 चीनी और भारतीय सैनिकों में हिंसक झड़प हुई और यह अगले दिन भी जारी रही जब तक कि स्थानीय कमांडर स्तर की बैठक में दोनों पक्षों में अलग होने पर सहमति नहीं बन गई.
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इस हिंसा में 100 से ज्यादा भारतीय और चीनी सैनिक घायल हुए थे. पैंगोंग त्से में हुई इस घटना के बाद नौ मई को उत्तरी सिक्किम में भी ऐसी ही घटना देखने को मिली. सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने ज्यादा विस्तार दिये बिना कहा, भारतीय सेना का शीर्ष स्तरीय नेतृत्व उभरती हुई मौजूदा सुरक्षा व प्रशासनिक चुनौतियों के साथ ही भारतीय सेना के भविष्य पर मंथन केरेगा.
कमांडरों का यह सम्मेलन पहले 13 से 18 अप्रैल को होना था लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया। कर्नल आनंद ने कहा कि अब यह दो चरणों में होगा. पहला चरण 27 से 29 मई तक होगा और दूसरा चरण जून के अंतिम हफ्ते में. नाम न जाहिर करने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, भारत ने परिपक्व तरीके से स्थिति को संभाला है.
कमांडरों के चीन के आक्रामक व्यवहार से निपटने की रणनीति समेत कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करने की उम्मीद है. भारत ने पिछले हफ्ते कहा था कि सीमा प्रबंधन को लेकर उसका रवैया हमेशा से बेहद जिम्मेदाराना रहा है लेकिन लेकिन चीनी सेना उसके जवानों की सामान्य गश्त को बाधित कर रही है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक मीडिया ब्रीफिंग में चीन के उस वक्तव्य को भी पुरजोर तरीके से खारिज किया कि भारतीय सैनिकों द्वारा चीन की तरफ अतिक्रमण करने की वजह से तनाव बढ़ा.
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भारत की यह प्रतिक्रिया चीन के उस आरोप के दो दिन बाद आई थी जिसमें उसने कहा था कि भारतीय सेना ने उसके क्षेत्र में अतिक्रमण किया और दावा किया कि यह सिक्किम और लद्दाख में एलएसी के दर्जे को एकपक्षीय बदलने का प्रयास है. भारतीय और चीनी सैनिक पांच मई को पैंगोंग त्सो झील इलाके में भिड़ गए थे और इस दौरान लोहे की छड़ों, लाठियों से एक दूसरे पर हमला किया तथा पथराव भी किया जिसमें दोनों तरफ के सैनिकों को चोट आई थी.
एक अन्य घटना में करीब 150 भारतीय और चीनी सैनिक नौ मई को सिक्किम सेक्टर के नाकुला पास में आमने-सामने आ गए और इस दौरान हुई झड़प में दोनों पक्षों के कम से कम 10 सैनिक घायल हुए. इससे पहले डोकलाम में 2017 में 73 दिनों तक तक दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने डटे हुए थे जिससे परमाणु हथियार से लैस दो पड़ोसी देशों के बीच युद्ध का खतरा भी मंडराने लगा था.
भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी को लेकर विवाद है। चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा ठोकते हुए उसे दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है जबकि भारत अरुणाचल प्रदेश को अपना अभिन्न अंग मानता है.