Hijab Controversy : विदेश मंत्रालय ने हिजाब विवाद को लेकर आलोचना पर कहा कि कर्नाटक के कुछ शैक्षणिक संस्थानों में यूनिफार्म संबंधी नियमों से जुड़े मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट विचार कर रहा है. हमारे संवैधानिक ढांचे, लोकतांत्रिक लोकाचार और राजतंत्र के संदर्भ में मुद्दों पर विचार किया जाता है, उनका समाधान निकाला जाता है. हमारे आंतरिक मुद्दों पर किसी अन्य मकसद से प्रेरित टिप्पणियां स्वीकार्य नहीं हैं.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि जो लोग भारत को जानते हैं उन्हें वास्तविकताओं की पर्याप्त समझ होगी. उन्होंने कहा कि कर्नाटक के कुछ शैक्षणिक संस्थानों में वर्दी संबंधी नियमों से जुड़े मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट विचार कर रहा है. हमारे संवैधानिक ढांचे और तंत्र, लोकतांत्रिक लोकाचार तथा राजतंत्र के संदर्भ में मुद्दों पर विचार किया जाता है, उनका समाधान निकाला जाता है. जो लोग भारत को अच्छी तरह जानते हैं, उन्हें इन वास्तविकताओं की पर्याप्त समझ होगी. हमारे आंतरिक मुद्दों पर किसी अन्य मकसद से प्रेरित टिप्पणियां स्वीकार्य नहीं है.
आपको बता दें कि कर्नाटक हिजाब मसले पर पाकिस्तान और अमेरिका जैसे देशों की टिप्पणियों पर विदेश मंत्रालय ने अपनी बात रखी है.
केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने कहा है कि ये जो हिज़ाबी हुड़दंग है और तालिबानी हिस्टीरिया है, यह मुस्लिम लड़कियों की तालिम और तरक़्क़ी को तालिबानी ताले में बंद करने की कोशिश है. आज देश संविधान से चलता है शरिया से तो चलेगा नहीं.
इधर कर्नाटक में हिजाब विवाद के मद्देनजर पुलिस ने दक्षिण कन्नड़ और उडुपी जिलों में एहतियात के तौर पर फ्लैग मार्च किया. पुलिस उपायुक्त हरिराम शंकर ने बताया कि शुक्रवार शाम दक्षिण कन्नड़ जिले के पुत्तुर और सूरतकल में फ्लैग मार्च किया गया. त्वरित कार्य बल (आरएएफ) की 97वीं बटालियन के 130 कर्मियों ने इसमें हिस्सा लिया. शंकर ने कहा कि कानून व्यवस्था बिगड़ने पर यहां पनम्बुर में तैनात आरएएफ के कर्मी जनसुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई करेंगे.
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगा और कर्नाटक हाइकोर्ट के उस निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उचित समय पर विचार करेगा, जिसमें विद्यार्थियों से शैक्षणिक संस्थानों में किसी प्रकार के धार्मिक कपड़े न पहनने के लिए कहा गया है. छात्रों का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली एक पीठ को बताया कि हाइकोर्ट के आदेश ने संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धर्म का पालन करने के मौलिक अधिकार को निलंबित कर दिया है. उन्होंने याचिका को सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध भी किया. सीजेआइ ने कहा कि हम इस पर गौर करेंगे.
कर्नाटक हाइकोर्ट ने हिजाब विवाद से जुड़ी लंबित याचिकाओं पर अंतरिम आदेश जारी करते हुए राज्य सरकार से शिक्षण संस्थानों को फिर से खोलने का अनुरोध किया है. साथ ही विद्यार्थियों को भी कक्षा के भीतर भगवा शॉल, गमछा, हिजाब या किसी तरह का धार्मिक झंडा आदि ले जाने से रोक दिया है. अदालत ने गुरुवार को यह आदेश पारित किया था जिसकी प्रति शुक्रवार को उपलब्ध करायी गयी. अदालत ने रेखांकित किया कि भारत बहु संस्कृति, विभिन्न धर्मों और भाषाओं का देश है. धर्मनिरपेक्ष राज्य होने के नाते देश स्वयं की किसी धर्म से पहचान नहीं करता. अदालत ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को अपने धार्मिक विश्वास का पालन करने का अधिकार है. मामले की सुनवाई अब 14 फरवरी को होगी.
भाषा इनपुट के साथ
Posted By : Amitabh Kumar