Karnataka Hijab Row : शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कहा कि जहां तक हिजाब पर प्रतिबंध का सवाल है, धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है. हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, लेकिन केवल कक्षाओं के भीतर और कक्षा के दौरान इसे पहनना अनिवार्य नहीं है.
सरकार की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया कि स्कूल परिसर में हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, यह आदेश केवल कक्षा में और कक्षा में पढ़ाई के दौरान लागू है. हमारे पास कर्नाटक शैक्षणिक संस्थानों के रूप में एक कानून है,(वर्गीकरण और पंजीकरण) नियम, नियम 11. इस नियम के अनुसार सिर पर हिजाब पहनना प्रतिबंधित है.
महाधिवक्ता ने कोर्ट में कहा कि मानव गरिमा में स्वतंत्रता शामिल है, जिसमें पहनने या न पहनने का विकल्प शामिल है. याचिकाकर्ता का पूरा दावा मजबूरी बनाने का है, जो संविधान के लोकाचार के खिलाफ है. इसे अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता, इसे संबंधित महिलाओं की पसंद पर छोड़ दिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, जहां तक गैर सहायता प्राप्त निजी अल्पसंख्यक संस्थानों का सवाल है, हम समान संहिता में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं और इसे संस्थानों पर छोड़ दिया गया है. मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम इस मामले को इसी सप्ताह खत्म करना चाहते हैं. इस सप्ताह के अंत तक इस मामले को खत्म करने के लिए सभी प्रयास करें.
गौरतलब है कि 14 फरवरी से हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है. पहले मामले की सुनवाई हाईकोर्ट की सिंगल बेंच कर रही थी, बाद में इस केस कोे गंभीर विषय बताकर तीन सदस्यीय पीठ को सौंप दिया गया. इस पीठ में हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश भी शामिल हैं.
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