Himachal Politics News: ‘बागी विधायक’ सुधीर शर्मा पर कांग्रेस का बड़ा एक्शन, खरगे ने AICC सचिव पद से हटाया
Himachal Politics News: हिमाचल प्रदेश के 'बागी विधायकों' पर कांग्रेस ने एक्शन लेना शुरू कर दिया है. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने क्रॉस वोटिंग में शामिल बागी विधायक सुधीर शर्मा को एआईसीसी सचिव पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया है.
Himachal Politics News: बागी विधायकों ने पंचकुला मनसा देवी मंदिर में पूजा की
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के सभी छह बागी विधायकों ने हरियाणा के पंचकुला में बुधवार को मनसा देवी मंदिर में पूजा की. पूजा करने के बाद विधायक राजिंदर राणा ने कहा, हमने मनसा देवी मंदिर में दर्शन किए. अयोग्यता का मामला सुप्रीम कोर्ट में है. मुझे लगता है कि इस पर जल्द ही सुनवाई होगी. जिस जल्दबाजी के साथ स्पीकर ने फैसला लिया और जिस असंवैधानिक तरीके से यह किया गया – पूरा प्रदेश और देश जानता है कि यह किस दबाव में किया गया. फैसला जल्द आएगा.
Himachal Politics News: छह विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
हिमाचल प्रदेश में हाल के राज्यसभा चुनावों में ‘क्रॉस वोटिंग’ के बाद अयोग्य घोषित किये गये छह कांग्रेस विधायकों ने अपनी अयोग्यता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. बागी विधायकों ने राज्य विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के 29 फरवरी के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है.
बागी विधायकों ने बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में किया था मतदान
राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान करने वाले कांग्रेस के ये बागी विधायक बाद में पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए बजट पर मतदान से अनुपस्थित रहे थे. सत्तारूढ़ कांग्रेस ने इसी आधार पर उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग की थी. बागी विधायकों द्वारा ‘क्रॉस वोटिंग’ किये जाने के परिणामस्वरूप कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी को राज्यसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. अयोग्य ठहराए गए विधायकों में राजिंदर राणा, सुधीर शर्मा, इंदर दत्त लखनपाल, देविंदर कुमार भुट्टू, रवि ठाकुर और चैतन्य शर्मा शामिल हैं.
अयोग्य घोषित किए जाने के बाद हिमाचल विधानसभा में सदस्यों की संख्या 62 रन गई
6 विधायकों को अयोग्य घोषित किये जाने के बाद सदन में सदस्यों की मौजूदा संख्या 68 से घटकर 62 रह गई है, जबकि कांग्रेस विधायकों की संख्या 40 से घटकर 34 हो गई. बागी विधायकों ने अपनी याचिका में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए दावा किया है कि उन्हें अयोग्यता याचिका पर जवाब देने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं मिला.