हिमाचल प्रदेश: जबरन धर्मांतरण कराया तो 10 साल की सजा और दो लाख तक का जुर्माना, विधेयक पारित
विधेयक में कारावास की सजा को सात साल से बढ़ाकर अधिकतम 10 साल तक करने का प्रावधान है. इसके अलावा दो लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा. हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2022 शनिवार को ध्वनिमत से पारित हुआ.
हिमाचल प्रदेश में अब जबरन सामूहिक धर्मांतरण (Freedom of Religion Amendment Bill 2022) कराने पर जेल की हवा खानी पड़ सकती है. इसके अलावा 2 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना भरना पड़ सकता है. दरअसल हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने मौजूदा धर्मांतरण रोधी कानून में संशोधन वाले एक विधेयक को शनिवार को ध्वनिमत से पारित किया. जिसमें मौजूदा कानून में सजा बढ़ाने और जबरन या लालच देकर सामूहिक धर्मांतरण कराये जाने को रोकने का प्रावधान है.
सामूहिक धर्मांतरण कराने पर 10 साल की जेल और दो लाख रुपये तक का जुर्माना
विधेयक में कारावास की सजा को सात साल से बढ़ाकर अधिकतम 10 साल तक करने का प्रावधान है. इसके अलावा दो लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा. हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2022 शनिवार को ध्वनिमत से पारित हुआ. विधेयक में सामूहिक धर्मांतरण का उल्लेख है, जिसे एक ही समय में दो या दो से अधिक लोगों के धर्म परिवर्तन करने के रूप में वर्णित किया गया है.
Himachal Pradesh Assembly passes the Freedom of Religion (Amendment) Bill 2022
The bill has been brought to curb illegal religious conversions in Himachal Pradesh and proposes a higher jail term of up to 10 years and a fine of up to Rs 2 lakh.
— ANI (@ANI) August 13, 2022
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धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2019 के प्रावधानों को किया गया और कठोर
जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने शुक्रवार को विधेयक पेश किया था. संशोधन विधेयक में हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2019 के प्रावधानों को और कठोर किया गया है, जो बमुश्किल 18 महीने पहले लागू हुआ था. हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2019 को 21 दिसंबर 2020 को ही अधिसूचित किया गया था. इस संबंध में विधेयक 15 महीने पहले ही विधानसभा में पारित हो चुका था. साल 2019 के विधेयक को भी 2006 के एक कानून की जगह लेने के लिए लाया गया था, जिसमें कम सजा का प्रावधान था.
शिकायतों की जांच उप निरीक्षक से नीचे के दर्जे का कोई पुलिस अधिकारी नहीं करेगा
नये संशोधन विधेयक में बलपूर्वक धर्मांतरण के लिए कारावास की सजा को सात साल से बढ़ाकर अधिकतम 10 साल तक करने का प्रस्ताव है. विधेयक में प्रावधान प्रस्तावित है कि कानून के तहत की गयी शिकायतों की जांच उप निरीक्षक से नीचे के दर्जे का कोई पुलिस अधिकारी नहीं करेगा. इस मामले में मुकदमा सत्र अदालत में चलेगा.