हिमाचल प्रदेश में स्क्रब टाइफस बीमारी ने दी दस्तक, शिमला में 4 की जांच रिपोर्ट मिली पॉजिटिव
Scrub Typhus कोरोना की तीसरी लहर के आने की चर्चा के बीच हिमाचल प्रदेश में स्क्रब टाइफस नामक बीमारी ने दस्तक दी है. शिमला में स्क्रब टाइफस से संक्रमित चार मरीज मिले हैं. इन सभी की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव मिली है. बता दें कि स्क्रब टाइफस एक जीवाणुजनित संक्रमण है, जो लोगों की मौत की बड़ी वजह बनता है.
Scrub Typhus In Himachal Pradesh कोरोना की तीसरी लहर के आने की चर्चा के बीच हिमाचल प्रदेश में स्क्रब टाइफस नामक बीमारी ने दस्तक दी है. शिमला में स्क्रब टाइफस से संक्रमित चार मरीज मिले हैं. इन सभी की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव मिली है. बता दें कि स्क्रब टाइफस एक जीवाणुजनित संक्रमण है, जो लोगों की मौत की बड़ी वजह बनता है.
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल शिमला (Indira Gandhi Medical College & Hospital Shimla) में स्क्रब टाइफस के चार मरीज मिले हैं. अस्पताल में मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर जनक राज (Dr Janak Raj) ने कहा कि यह इन्फैक्टेट चिग्गर्स (Infected Chiggers) के काटने से फैलता है.
#HimachalPradesh | "Four persons tested positive for Scrub Typhus at IGMC Shimla," says Dr Janak Raj, Medical Superintendent, Indira Gandhi Medical College & Hospital, Shimla
— ANI (@ANI) July 27, 2021
Scrub Typhus is spread to people through bites of infected chiggers (larval mites) pic.twitter.com/UgQymH3Lxe
कोरोना महामारी के बीच स्क्रब टाइफस के शिमला में चार मरीज मिलने के बाद प्रशासन अलर्ट मोड में है. बताया जाता है कि यह दो सौ साल पुरानी वायरस से होने वाली बीमारी है. सामान्य तौर पर चूहों के शरीर पर पाए जाने वाले जीवाणु ओरियंटा सुसु कैमोसी के कारण यह बीमारी होती है. इस बीमारी में सामान्य बुखार के साथ साथ शरीर में छोटे छोटे दाने व चकत्ते होते है. बताया जाता है कि समय से उपचार होने पर यह बीमारी आमतौर पर पांच दिन में ठीक हो जाती है.
इसके संक्रमण से बचने के लिए चूहा, छछून्दर गिलहरी के द्वारा कुतरे गए फल व खाद्य पदार्थ का सेवन करने से परहेज करने की सलाह दी जाती है. साथ ही जब भी फल का सेवन करे, उसे धोकर ही खाएं. वहीं, खाना को खुला नहीं छोड़ने की बात भी सलाह दी जाती है. इससे बचाव के लिए आसपास के क्षेत्र, घर और अपने शरीर की साफ-सफाई का ध्यान देने की आवश्यकता है. बताया जाता है कि एक सप्ताह के भीतर यदि बीमारी का पता लग जाए, तो उसका इलाज किया जा सकता है. अन्यथा मरीज को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
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