Himachal Pradesh:हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. राज्यसभा चुनाव में 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग किया और पार्टी से बगावत कर लिया. इधर मंगलवार को पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने वाले कांग्रेस विधायक बुधवार को अपने वकील के साथ विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष पेश हुए. सभी ने तर्क दिया कि संबंधित सभी दस्तावेज उन्हें मुहैया नहीं कराए गए हैं. स्पीकर ने बागी विधायकों की अयोग्यता पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
Himachal Pradesh: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बोले- विक्रमादित्य सिंह मेरे छोटे भाई
हिमाचल प्रदेश के मख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, विक्रमादित्य सिंह मेरे छोटे भाई हैं और मैंने उनसे बात की है उन्हें(कांग्रेस विधायक जिन्होंने राज्यसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवार को वोट दिया था) पार्टी का सम्मान करना चाहिए था. वे मुझसे नाराज हो सकते हैं ,अभिषेक सिंघवी जैसे व्यक्ति को हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा जाना चाहिए था लेकिन उन्होंने उन्हें वोट नहीं दिया और पार्टी को धोखा दिया. राज्य की राजनीति के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.
हमारी सरकार 5 साल पूरे करेगी: सुक्खू
यह पूछे जाने पर कि क्या कल राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को वोट देने वाले कांग्रेस विधायकों को माफ कर दिया जाएगा या उनकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी, हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, हम तो सबको माफ करने वाले लोग हैं, हम बदले की भावना से काम करने वाले लोग नहीं हैं. सभी हमारे छोटे भाई हैं. हमारी सरकार 5 साल पूरे करेगी.
बागी विधायकों के वकील ने कहा- नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए 7 दिन का समय मिलना चाहिए था
विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष छह कांग्रेस विधायकों का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सत्यपाल जैन ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किलों को केवल नोटिस और मंगलवार शाम को दाखिल याचिका की प्रति दी गई है जबकि अन्य संलग्नक नहीं मुहैया कराये गये. जैन ने कहा कि नियमों के तहत विधायकों को उन्हें दिए गए नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया जाना चाहिए. सत्यपाल जैन ने कहा कि दल-बदल विरोधी कानून के तहत जवाब के लिए सात दिन का समय समेत पांच या छह शर्तें हैं, जिनका पालन किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि याचिका की प्रति उपलब्ध कराने के बाद भी जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया जाना चाहिए.
बागी विधायकों के वकील ने कहा- दल-बदल विरोधी कानून राज्यसभा चुनावों में मतदान पर लागू नहीं होता
जैन ने तर्क दिया कि दल-बदल विरोधी कानून राज्यसभा चुनावों में मतदान पर लागू नहीं होता है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार अपने फैसलों में यह स्पष्ट किया है. जैन ने कहा, हम विधानसभा अध्यक्ष से जवाब दाखिल करने के लिए नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के तहत एक सप्ताह का समय देने की मांग करते हैं.