Earthquakes in Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में औसतन महीने में कम से कम पांच बार कम तीव्रता वाले भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के आंकड़ों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश IV और V के उच्च तीव्रता वाले भूकंपीय क्षेत्रों में आता है और राज्य में अक्टूबर 2021 और मार्च 2023 के बीच 87 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. इस अवधि में पूरे हिमाचल में रिक्टर पैमाने पर 4.4 तीव्रता के झटके दर्ज किए गए हैं, लेकिन अधिकांश भूकंप की तीव्रता 3 से कम थी, जिन्हें सूक्ष्म भूकंप के रूप में जाना जाता है.
हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में सबसे अधिक 26 भूकंप दर्ज किए गए. इसके बाद, मंडी में 15, किन्नौर में 12 और शिमला जिले में 11 भूकंप दर्ज किए गए. पिछली शताब्दी के बाद से राज्य में लगभग 80 भूकंप दर्ज किए गए हैं, जिनकी तीव्रता 4 से अधिक है. बताते चलें कि 1905 में हिमाचल के कांगड़ा में आए भूकंप ने ऐसी तबाही बरपाई थी कि चारों ओर सिर्फ तबाही के निशान दिख रहे थे. इस त्रासदी में करीब 20 हजार लोगों की जान चली गई थी.
देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के सीस्मोलॉजिस्ट डॉ नरेश कुमार ने कहा कि सूक्ष्म भूकंप भूकंपीय क्षेत्रों के संकेतक हैं और यह भी एक संकेत है कि भविष्य में एक बड़ा भूकंप आ सकता है. उन्होंने कहा कि दो बड़े भूकंपों के बीच हमेशा सूक्ष्म भूकंप होते हैं. हिमालयी क्षेत्र उच्च भूकंपीय क्षेत्र में स्थित है और यहां सूक्ष्म भूकंपों की आवृत्ति कम भूकंपीय क्षेत्रों की तुलना में अधिक होती है.
हिमाचल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निदेशक सुदेश कुमार मोख्ता ने कहा, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) भूकंप गतिविधि पर नजर रखने के लिए राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र पर निर्भर करता है. हमारे पास अपनी खुद की कोई भूकंप मानचित्रण या चेतावनी प्रणाली नहीं है. हम अलर्ट के लिए केंद्रीय एजेंसियों पर निर्भर हैं, लेकिन हम भूकंपीय रेट्रोफिटिंग सहित भूकंप के प्रभाव को कम करने के लिए कई परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं. हम आपदा तैयारियों में स्वयंसेवकों को भी प्रशिक्षित कर रहे हैं.
नई दिल्ली स्थित भूविज्ञानी श्रीधर राममूर्ति ने कहा कि हिमाचल में लगातार भूस्खलन के लिए सूक्ष्म भूकंप को भी जिम्मेदार ठहराया गया है. पहाड़ी राज्य में अवैज्ञानिक सड़क निर्माण, वनों की कटाई और जलविद्युत परियोजनाओं के साथ-साथ सूक्ष्म भूकंप भी बढ़ती संख्या के पीछे एक महत्वपूर्ण कारक हैं. हिमाचल में भूस्खलन जैसे-जैसे सूक्ष्म भूकंप बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे पहाड़ी राज्य के अधिकांश जिलों में भूस्खलन भी बढ़ रहे हैं. सरकार को विशेष रूप से हिमाचल जैसे राज्यों में भूकंप प्रतिरोधी आवास के बारे में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है. राज्य के जीवन और संपत्ति पर भूकंप का प्रभाव कम करने के लिए सरकार को विशेष काम करने की जरूरत है. इसके साथ ही लोगों को इलाके में भूकंप प्रतिरोधी इमारतों का निर्माण करने पर फोकस करना चाहिए ताकि क्षति को कम किया जा सके. इसकी कीमत अधिक हो सकती है, लेकिन हमें यह समझने की जरूरत है कि जीवन अनमोल है.