हिमाचलः जमी हुई पवित्र सरयोलसर झील पर जूते समेत टहल रहे सैलानी, देव परंपराओं का हो रहा है अपमान
कुल्लू (हिमाचल): जमी हुई पवित्र सरयोलसर झील पर जूते समेत सैलानी टहल रहे हैं इससे उनके डूबने का खतरा तो है ही साथ ही मंदिर के देव परंपराओं का भी अपमान हो रहा है.
Frozen Holy Saryolsar Lake, कुल्लू (हिमाचल) में अजब वाकया सामने आया है. शून्य से नीचे गिर चुके तापमान के कारण समुद्रतल से 10500 फीट की ऊंचाई पर स्थित माता बूढ़ी नागिन मंदिर की पवित्र सरयोलसर झील जम गई है. हाल यह है कि यहां तक पहुंचे तमाम सैलानी जूते पहने जमी झील की सतह पर चहलकदमी कर रहे हैं. इससे पवित्र झील की मर्यादा भंग हो रही है. स्थानीय लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत रही. सबसे बड़ी बात बर्फ की जमी परत टूटने से खुद सैलानियों के झील में डूबने का खतरा भी है. देव परंपरा टूटने पर सख्त मंदिर कमेटी अब किसी को झील में जाने से रोक रही है.
बता दें, सरयोलसर झील में लोग मन्नत के लिए झील के किनारे जूते उतार कर जाते हैं और पवित्र जल को पीते हैं. इस झील में माता की आराधना धूप, मुद्रा और पुष्प चढ़ा कर की जाती है, लेकिन तमाम सैलानी जूतों के साथ बर्फ से जमी हुई झील पर चल रहे हैं जो देव समाज व धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध है. इसको लेकर मंदिर कमेटी ने भी नाराजगी जाहिर कर सैलानियों के खिलाफ सख्त हो गई है.
सूचना मिलते ही सरयोलसर पहुंची मंदिर कमेटी
इसकी सूचना मिलते ही बूढ़ी नागिन मंदिर कमेटी के लोग सोमवार को सरयोलसर पहुंच गए. उन्होंने सैलानी व अन्य लोगों से पवित्र झील में न जाने का आग्रह किया. मंदिर कमेटी के कारदार भागे राम ने बताया कि अगर कोई सैलानी या व्यक्ति झील के अंदर जाता पाया गया तो कमेटी उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करेगी. उन्होंने बताया कड़ाके की ठंड के कारण झील जम गई है. इसकी परत कभी टूट सकती है. जिससे सैलानी झील में डूब भी सकते हैं.
सैलानियों को देव संस्कृति से अवगत कराना जरूरी
बंजार के सोझा घाटी के गंगे राम, सुरेश यादव व सुनील ने बताया कि पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों को पर्यटकों को यहां के रीति-रिवाजों, देव समाज व संस्कृति के बारे में अवगत करवाना चाहिए. ताकि पवित्र जगहों की पवित्रता बनी रहे. उधर, एसडीएम बंजार हेम चंद वर्मा ने बताया है कि ऐसे सैलानियों के खिलाफ प्रशासन नियमानुसार कार्रवाई करेगा.