अंजनी सिंह, दिल्ली : राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतियों पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए गृह मंत्री ने नागरिकों को समय से न्याय दिलाने और यह सुनिश्चित करने पर बल दिया कि नागरिकों को उनके संवैधानिक अधिकार अनिवार्य रूप से मिले.
देश की आंतरिक सुरक्षा समस्याओं से निपटने में एक क्रांतिकारी रुख अपनाने का सुझाव देते हुए उन्होंने पुलिस व्यवस्था में आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल पर बल दिया और पुलिस नेतृत्व से, पुलिस के कांस्टेबल से लेकर उच्च पदों तक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को कार्यान्वित करने का अनुरोध किया.
संसद में हाल ही में नए कानून पेश किए जाने का उल्लेख करते हुए, केन्द्रीय गृह मंत्री ने संपूर्ण आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार के लिए एक दृष्टिकोण सबके सामने रखा. उन्होंने पुलिस अधिकारियों से आग्रह किया कि जब संसद द्वारा नए कानून पारित किए जाएं तो उन्हें आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार के लिए इन कानूनों को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए तैयार रहना चाहिए.
जांच तथा अभियोजन की पूरी प्रक्रिया के digitization के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने नवगठित आपराधिक न्याय व्यवस्था की भविष्य की मांग के अनुसार पुलिस व्यवस्था में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की नई पहलों को भी सूचीबद्ध किया. उन्होंने यह उल्लेख भी किया कि Artificial Intelligence एक अवसर के साथ-साथ एक खतरा भी है और पुलिस को चाहिए कि वह इसका लाभ उठाते समय इसके प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिए भी तैयार रहे.
प्रतिभागियों से अगले 25 वर्षों में कड़ी मेहनत करने के लिए भी कहा ताकि 2047 तक भारत को अग्रणी देश बनाने के माननीय प्रधानमंत्री जी के सपने को साकार किया जा सके. दूसरे देशों से सीख लेने के महत्व का सुझाव देते हुए उन्होंने प्रतिभागियों से अगले 25 वर्षों में एक उदाहरण प्रस्तुत करने का अनुरोध किया ताकि दूसरे देश भी हमसे कुछ सीख सकें.