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आर्टिकल 370 पर गृहमंत्री ने लोकसभा में दिया बयान
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आर्टिकल 370 और 35 ए अस्थायी समझौता था
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एक देश में दो विधान और दो निशान नहीं हो सकते
गृहमंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में जम्मू-कश्मीर और आर्टिकल 370 पर बयान देते हुए कहा कि यह जम्मू-कश्मीर के हित में नहीं था, इसलिए यहां के लोगों की बेहतरी के लिए हमने इसे हटा दिया. उन्होंने कहा कि विपक्ष को हर चीज में हिंदू-मुस्लिम दिखाई पड़ता है. मैं उनसे यह पूछना चाहता हूं कि क्या एक हिंदू अफसर मुसलमान जनता की सेवा नहीं कर सकता? उसी तरह क्या एक मुस्लिम अफसर हिंदू जनता की सेवा नहीं सकता?
देश को हिंदू-मुस्लिम में बांटना बंद होना चाहिए, सभी देश के नागरिक हैं. हमने आर्टिकल 370 को जम्मू-कश्मीर से इसलिए हटाया, क्योंकि उसके रहने से प्रदेश का विकास नहीं हो पा रहा था.
गृहमंत्री ने AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी के सवालों का जवाब देते हुए उक्त बातें कही. उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 और 35 ए को लेकर समझौता था, लेकिन वह अस्थायी समझौता था, जिसे देश हित और लोगों के हित में हमारी सरकार ने हटा दिया.
जम्मू-कश्मीर भारत का ही भाग है, इसलिए वहां के नागरिकों को भी उसी तरह के अधिकार और कर्तव्य मिलेंगे जो पूरे देश के नागरिकों को मिलेगी. सिर्फ वोट के लिए इतने सालों तक देश में आर्टिकल 370 लागू रहा .
हमने आर्टिकल 370 को हटाने का वादा देश से बहुत पहले ही किया था जिसे हमने पूरा किया है. चूंकि हमारा उद्देश जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित करना था.
आज जो लोग आर्टिकल 370 को लेकर हमसे सवाल कर रहे हैं, उन्होंने 70 सालों तक दूसरी सरकारों से सवाल क्यों नहीं किया? सिर्फ 17 महीने में हमसे सवाल किये जाने लगे हैं. हम यह नहीं चाहते कि एक ही देश में दो विधान और दो निशान हों, इसके लिए आर्टिकल 370 को हटाना बहुत जरूरी था.
कई सांसदों का कहना है कि जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2021 लाने का मतलब है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा. मैं बिल लेकर आया हूं. मैंने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं. बिल में कहीं नहीं लिखा है कि जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा, फिर कहां से ऐसे निष्कर्ष निकाले जा रहे हैं ?
Posted By : Rajneesh Anand