नयी दिल्ली: अब से जम्मू कश्मीर में कोई भी भारतीय नागरिक अपने सपनों का आशियाना बना सकता है. जम्मू कश्मीर में जमीन लेकर मकान बना सकता है, दुकान खोल सकता है या फिर कोई कारोबार कर सकता है. बस एक जगह पाबंदी है कि वहां फिलहाल खेती वाली जमीन नहीं खरीदी जा सकती है. वो केवल जम्मू कश्मीर के स्थानीय नागरिकों के लिए होगी.
गृह मंत्रालय ने जारी किया गाइडलाइन
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस बारे में मंगलवार 27 अक्टूबर को एक गाइडलाइन जारी की. मंत्रालय ने अपने दिशा निर्देश में बताया कि उपरोक्त फैसला केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन तीसरा आदेश 2020 के आधार पर लिया गया है. लोग यहां अब मकान, दुकान और कारोबार के लिए जमीन खरीद सकते हैं. 5 अगस्त 2019 से पहले इसकी इजाजत नहीं थी.
राज्य में औद्योगिक निवेश की जरूरत
इस फैसले के आलोक में जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि राज्य में उद्योग-धंधों का विकास हो. इंडस्ट्री लगे. नए निवेश हों और स्थानीय लोगों को रोजगार मिले, इसलिए ये फैसला किया गया है. मनोज सिन्हा ने कहा कि जम्मू कश्मीर में औद्योगिक भूमि में निवेश की जरूरत है. बता दें कि पहले यहां बाहरी लोग जमीन की खरीद फरोख्त नहीं कर सकते है. नई अधिसूचना के मुताबिक बाहरी लोग खेती योग्य जमीन को छोड़कर बाकी जमीन में निवेश कर सकते हैं.
नई अधिसूचना के मुताबिक जम्मू कश्मीर में जमीन खरीदने के लिए किसी नागरिक को यहां का स्थानीय निवासी होने का सबूत नहीं देना होगा. पहले लोग यहां कुछ प्रावधानों के आधार पर केवल पट्टे पर जमीन ले सकते थे या बतौर किरायेदार रह सकते थे.
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन आदेश के तहत फैसला
गौरतलब है कि पिछले साल 5 अग्सत 370 को केंद्र की एनडीए सरकार ने अनुच्छेद 370 और धारा 34 (ए) को निरस्त कर दिया था. राज्य को दो भागों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया. दोनों को केंद्रशासित प्रदेश घोषित किया गया. इनमें से जम्मू कश्मीर में विधान परिषद की व्यव्स्था दी गई. वहीं लद्दाख का शासन सीधे उपराज्यपाल द्वारा चलाया जाता है. अब अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के 1 साल बाद जमीन के कानून में बदलाव किया गया है.
जानें जम्मू कश्मीर में पहले क्या थी व्यवस्था
जम्मू कश्मीर में 5 अगस्त 2019 से पहले अलग संवैधानिक व्यवस्था थी. तिरंगा के अलावा जम्मू कश्मीर का अपना अलग ध्वज होता था. अलग संविधान होता था. राज्य के बारे में कोई भी फैसला लेने के लिए वहां की विधानसभा की मंजूरी लेनी होती थी. राज्य के बाहर के भारतीय नागरिकों को वहां जमीन खरीदने की अनुमति नहीं थी.
Posted By- Suraj Thakur