तीसरे लहर से निपटने के लिए कैसी है राज्यों की तैयारी

कई राज्यों ने तीसरी लहर से निपटने के लिए गंभीरता से काम शुरू कर दिया है यह तीसरी लहर ज्यादा खतरनाक होगी क्योंकि संक्रमण का बच्चों पर पड़ने वाला असर सबसे खतरनाक साबित हो सकता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 28, 2021 7:56 AM
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देशभर के कई राज्यों में कोरोना संक्रमण के आंकड़ों में कमी देखी जा रही है तो अभी से कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की खबर सभी को परेशान कर रही है. तीसरी लहर का असर बच्चों पर पड़ने वाला है यही कारण कि राज्य इससे निपटने के लिए तैयारी कर रहे हैं.

कई राज्यों ने तीसरी लहर से निपटने के लिए गंभीरता से काम शुरू कर दिया है यह तीसरी लहर ज्यादा खतरनाक होगी क्योंकि संक्रमण का बच्चों पर पड़ने वाला असर सबसे खतरनाक साबित हो सकता है.

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राज्यों ने अस्पताल में बिस्तर की कमी को दूर करने की कोशिशें तेज कर दी. कई जगह नये बिस्तरों का इंतजाम किया गया है. कई राज्यों में कोरोना संक्रमण के दौरान ऑक्सीजन की दिक्कत बड़ी बाधा थी उसे दूर करने की कोशिश की गयी है. दूसरी तरफ सरकार वैक्सीन को लेकर गंभीर है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीन जल्द आये ताकि उन्हें सुरक्षित रखा जा सके.

उत्तर प्रदेश ने कोरोना संक्रमण के तीसरे लहर का अनुमान लगाते हुए ऐलान किया है कि वैसे लोगों को वैक्सीन प्राथमिकता के आधार पर लगायी जायेगी 12 साल से कम उम्र का है. यूपी सरकार ऐसे लोगों को वैक्सीन देकर बच्चों को भी सुरक्षित रखने की योजना बना रही है दूसरी तरफ गोवा में भी वैसी मां जिनके बच्चे की उम्र दो साल से कम है उन्हें वैक्सीन देने की प्राथमिकता में शामिल किया है.

कई राज्यों में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को लैकर तैयारी चल रही है. संक्रमण के गंभीर हालात में राज्य इनसे निपट सके इसलिए खुद को स्वासथ्य सुविधाओं के तौर पर मजबूत करने में लगा है.

महाराष्ट्र में जब संक्रमितों की संख्या काफी ज्यादा थी महाराष्ट्र ने अपने हालात का अंदाजा लगाते हुए बिस्तरों की संख्या बढ़ाने पर जोर दे दिया था उस वक्त उनके 600 कोविड बेड थे जिन्हें बढ़ाकर 2300 कर दिया गया. बीएमसी के कमिश्नर ने बताया कि अकेले मुंबई में 500 बिस्तरों की संख्या बढ़ायी गयी है.

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उत्तराखंड में डीआरडीओ दो अस्पताल का निर्माण कर रहा है. ओड़िशा, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में भी बच्चों की सेहत को ध्यान में रखते हुए स्वासथ्य सुविधाओं को लेकर तैयारी जोरों पर हैं. कई राज्यों में एक्सपर्ट पैनल और टास्क फोर्स का निर्माण किया गया है ताकि संक्रमण से पहले एक मजबूत रणनीति बनायी जा सके और उसे अमल कर संक्रमण के मामलों में आने वाली बढोतरी से बचा जा सके.

झारखंड ने हाल में ही दिल्ली और बेंगलुरु के एक्सपर्ट से संपर्क किया और यह जानने की कोशिश की है कि कैसे राज्य में तीसरे लहर से बच्चों को सुरक्षित रखा जाए. राज्य में 43 फीसद आबादी 18 साल से कम उम्र के बच्चों की है.

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