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EXPLAINER: कैसे होता है राज्यसभा सांसद का चुनाव, झारखंड विधानसभा में इस बार कैसी रहेगी हलचल, जानें सब कुछ

Rajya Sabha Election 2022: 15 राज्यों की 57 विधानसभा सीटों के लिए राज्यसभा के चुनाव होने थे. इनमें से 11 राज्यों के 41 उम्मीदवार निर्विरोध जीत चुके हैं. अब 4 राज्यों की 16 सीटों पर वोटिंग होनी है. यहां जानें राज्यसभा के चुनाव की प्रक्रिया. झारखंड में इस बार क्या होगा, सब कुछ...

Rajya Sabha Election 2022: राज्यसभा चुनाव में 4 राज्यों में खरीद-फरोख्त की कोशिशों के आरोपों के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बृहस्पतिवार को कहा कि चुनाव प्रक्रिया की निगरानी के लिए विशेष पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गयी है. उसकी वीडियोग्राफी भी करायी जायेगी. हाल ही में 57 राज्यसभा सीट के लिए द्विवार्षिक चुनावों की घोषणा की गयी थी. उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, आंध्र प्रदेश, मध्यप्रदेश, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, पंजाब, तेलंगाना, झारखंड तथा उत्तराखंड में सभी 41 उम्मीदवारों को पिछले शुक्रवार को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया था.

झारखंड विधानसभा में नहीं होगी कोई हलचल

हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक की 16 सीटों के लिए शुक्रवार को मतदान होगा, क्योंकि उम्मीदवारों की संख्या संबंधित सीट संख्या से अधिक है. राष्ट्रपति चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा के बाद सवाल पूछे जाने पर मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा, ‘हमने सभी चार राज्यों में विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किये हैं. पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जायेगी.’ खरीद-फरोख्त के प्रयासों से बचाने के लिए राजनीतिक दल अपने विधायकों को होटल और रिसोर्ट में ठहराये हुए हैं. हालांकि, झारखंड विधानसभा में इस बार कोई हलचल नहीं होगी, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने एक-एक उम्मीदवार खड़े किये थे. दोनों निर्विरोध जीत चुके हैं.

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कैसे होता है राज्यसभा का चुनाव

लोकसभा की तरह राज्यसभा के सदस्यों का चयन आम लोग नहीं करते. राज्यसभा के सांसदों का चयन उस राज्य के चुने हुए जनप्रतिनिधि यानी विधायक करते हैं. आइए, हम आपको बताते हैं कि राज्यसभा के सदस्यों का चयन कैसे होते है:

राज्यसभा क्या है (What is Rajya Sabha)

सबसे पहले आपको बताते हैं कि राज्यसभा क्या है? राज्यसभा को उच्च सदन भी कहा जाता है. ब्रिटेन में हाउस ऑफ लॉर्ड्स की तर्ज पर भारत में राज्यसभा है. राज्यसभा में वर्तमान में 245 सदस्य हैं. इनमें 233 चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं, जबकि 12 नॉमिनेटेड होते हैं. संविधान में इस बात की व्यवस्था है कि किसी भी सूरत में उच्च सदन के सदस्यों की संख्या 250 से अधिक नहीं होगी.

राज्यसभा के 233 सदस्यों का चयन राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से किया जाता है. शेष 12 सदस्यों को भारत के राष्ट्रपति नॉमिनेट करते हैं. राष्ट्रपति कला, साहित्य, विज्ञान और समाज सेवा के क्षेत्र में बेहतर काम करने वालों को नॉमिनेट करते हैं.

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भारत के उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं. किसी भी बिल को राष्ट्रपति के पास भेजे जाने से पहले उच्च सदन से मंजूरी लेना अनिवार्य होता है. यानी राज्यसभा को बाईपास करके किसी बिल को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास नहीं भेजा जा सकता.

राज्यसभा काउंसिल ऑफ स्टेट्स है, इसलिए संविधान की व्यवस्था के मुताबिक, राज्यों की आबादी के आधार पर वहां के लिए राज्यसभा की सीटें तय की जाती हैं.

कैसे होता है राज्यसभा के सदस्य का चुनाव

राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव ओपेन बैलट के जरिये होता है. राज्यों के विधायक राज्यसभा के सदस्यों का चयन करते हैं. हर विधायक के वोट की सिर्फ एक बार गिनती होती है.

राज्यसभा के सदस्य का कार्यकाल 6 साल के लिए होता है. एक तिहाई सदस्य हर दो साल में बदल जाते हैं. उनकी जगह नये सदस्यों का चुनाव किया जाता है. कई बार राज्यसभा सांसदों को उनकी पार्टी फिर से अपना उम्मीदवार बनाती है. हर राज्यसभा सदस्य 6 साल का अपना कार्यकाल पूरा करते हैं. यदि किसी सदस्य की मौत हो जाये, उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाये या वे इस्तीफा दे दें, तो उपचुनाव कराये जाते हैं.

राज्यसभा के लिए वोटिंग की प्रक्रिया (Voting Process)

राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव चूंकि विधायकों के द्वारा किया जाता है, इसलिए कई बार मान लिया जाता है कि लोकसभा में जिस पार्टी के ज्यादा सदस्य होंगे, राज्यसभा के लिए सबसे ज्यादा सीटें वही पार्टी जीतेगी. लेकिन, ऐसा नहीं है.

वोटिंग की प्रक्रिया

वोटिंग प्रक्रिया में सभी सीटों के लिए विधायक वोट नहीं करते. अगर ऐसा होता, तो सिर्फ सत्ताधारी दल के उम्मीदवार ही उच्च सदन पहुंच जाते. इसकी जगह विधायकों को अपनी पसंद के अनुरूप अलग-अलग सूची बनानी होती है. यदि कोई वोटर एक उम्मीदवार को पहली प्राथमिकता का वोट डालता है और वह जीत जाता है, तो उसके बाकी बचे हुए वोट दूसरे उम्मीदवार को ट्रांसफर हो जाते हैं. हां, उसका मूल्य घट जाता है. इसलिए विधायक अन्य दलों के उम्मीदवारों के लिए भी वोट डालते हैं.

विधायक जिस उम्मीदवार को पहली वरीयता का वोट देता है, वह पहले नंबर पर आता है. जीत के लिए उम्मीदवार को ऐसे प्रथम वरीयता के वोटों की जरूरत पड़ती है. उम्मीदवार को ऐसे कितने वोट की जरूरत होगी, यह विधानसभा की संख्या और उस राज्य से कितने लोगों को राज्यसभा भेजा जा रहा है, उस पर निर्भर करता है.

  • जीत के लिए उम्मीदवार को खास नंबर की जरूरत पड़ती है, जिसे कोटा या वरीयता वोट करते हैं. इसका एक फॉर्मूला है: [कुल वोट/(राज्यसभा सीटों की संख्या+1)]+1.

  • अगर एक से अधिक सीट के लिए वोटिंग होती है, तो फॉर्मूला बदल जाता है. नया फॉर्मूला होगा: [(कुल वोटX100)/(रिक्तियां +1)]+1.

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