संसद का शीतकालीन सत्र सात दिसंबर से शुरू हुआ है और इसका समापन 29 दिसंबर को होगा. संसद का सत्र हमेशा ही बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इन सत्र में देश के अहम मुद्दों पर बात होती है साथ ही कई विधेयक भी पेश किये जाते हैं जो राजकाज के लिए बहुत अनिवार्य होते हैं और जिनके आधार पर देश का संचालन होता है. सामान्यत: संसद के तीन सत्र होते हैं बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र. संसद के सत्र की अवधि न्यूनतम 15 दिन की होती है अधिकतम यह एक महीने तक का होता है.
संसद का सत्र इतना महत्वपूर्ण होता है लेकिन कई बार ऐसा देखा गया है कि संसद में जनता के प्रतिनिधियों की उपस्थिति नगण्य होती है. ऐसा में बड़ा सवाल यह है कि क्या सांसद सत्र के दौरान अवकाश पर होते हैं? या वे कहीं और व्यस्तता की वजह से संसद नहीं आते हैं? आम लोगों की रुचि जिस बात में ज्यादा देखी जाती है वो ये है कि क्या सांसदों को भी सरकारी या निजी कार्यालयों के कर्मचारियों की भांति छुट्टी के लिए आवेदन करना पड़ता है? आपके इन तमाम सवालों के जवाब आपको इस रिपोर्ट में मिल जायेंगे.
* लोकसभा की नियमावली के अनुसार अगर कोई सदस्य सत्र के दौरान संसद से अनुपस्थित रहना चाहता है तो उसे इसके लिए स्पीकर को लिखित आवेदन देना होता है. संविधान के आर्टिकल 101 की धारा 4 में इस बात का प्रावधान किया गया है कि वे स्पीकर से अनुमति लेकर सत्र से अनुपस्थित रह सकते हैं.
* नियमावली 242 के उपनियम (1) के अनुसार अगर सांसद किसी निश्चित अवधि के लिए अवकाश लेना चाहता है तो उसे इसकी सूचना भी स्पीकर को देनी होती है. साथ ही उन्हें यह भी बताना होता है कि उन्हें अवकाश क्यों चाहिए. नियमों में यह व्यवस्था है कि अगर एक बार छुट्टी दे दी गयी है तो उसे अगले 60 दिनों तक बढ़ाया नहीं जा सकता है.
* नियमावली 242 के अनुसार ली गयी तमाम छुट्टी की जानकारी एक कमेटी को दी जाती है अगर संसद के सदस्य उपस्थित ना हों.
* नियमों में यह व्यवस्था भी है कि अगर छुट्टी ली गयी अवधि के दौरान कोई सांसद सत्र में शामिल होता है तो उसकी छुट्टी खत्म हो जाती है.