कोरोना संक्रमण के बीच कितना सुरक्षित होगा एसी ट्रेन से सफर ? जानिए क्या-क्या हैं खतरे
लॉकडाउन के करीब 50 दिन बीतने के बाद भारतीय रेलवे ने ट्रेन सेवा फिर से शुरू कर दी है. रेलवे फिलहाल 15 अप और 15 डाउन ट्रेनें ही चलाएगी. ये सभी ट्रेनें एसी ट्रेनें होंगी. सभी में सेंट्रलाइज्ड एसी लगा होगा.
लॉकडाउन के करीब 50 दिन बीतने के बाद भारतीय रेलवे ने ट्रेन सेवा फिर से शुरू कर दी है. रेलवे फिलहाल 15 अप और 15 डाउन ट्रेनें ही चलाएगी. ये सभी ट्रेनें एसी ट्रेनें होंगी. सभी में सेंट्रलाइज्ड एसी लगा होगा. लॉकडाउन के बीच रेलवे की इस पहल को बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है. लेकिन इससे कई सवाल भी खड़े होने लगे हैं. जब पूरा देश कोरोना संकट से दो चार हो रहा है तो एसी ट्रेन से सफर करना कितना सुरक्षित होगा. क्या इससे संक्रमण फैलने का खतरा नहीं होगा. डबल्यूएचओ ने पहले ही कह दिया है कि इससे संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है.
सेंट्रलाइज्ड एसी से बढ़ जाता है संक्रमण का खतरा : स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सेंट्रलाइज्ड एसी में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. सेंट्रलाइज्ड एसी में अगर कोई व्यक्ति खांसता है या छींकता है तो उसकी ड्रॉपलेट्स से संक्रमन का खतरा अधिक होता है, ऐसे में रेलवे के सेंट्रलाइज्ड एसी में संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा. चीन के वुहान में ऐसी घटना हो चुकी है. इस कारण दुनिया भर की कई अस्पतालों में सेंट्रलाइज्ड एसी इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है.
रेल की बोगियों में फैल सकता है संक्रमण : रेल की बोगियों में सेंट्रलाइज्ड एसी होने से यात्रियों को राहत तो मिल सकती है, लेकिन इन वातानुकूलित बोगियों से कोरोना वायरस फैलने का भी खतरा बहुत ज्यादा है. एसी बोगियां पूरी तरह से बंद होती हैं और लंबी यात्रा के दौरान कोरोना ड्रॉपलेट्स या दूसरी वजहों से वायरस फैलने के बहुत ज्यादा आसार हैं.
हवा के री-सर्कुलेशन से खतरा : दरअसल सेंट्रलाइज्ड एसी बोगियों में हवा का री-सर्कुलेशन होता है. हवा के री-सर्कुलेशन के कारण किसी भी इंफेक्सियस डिजीज का एक से दूसरे में फैलने की संभावना बढ़ जाती है. क्योंकि अगर फील्डर को बार बार साफ नही किया जा रहा हो तो वायरस एसी के फिल्टर में अटका रह जाता है. जिससे संक्रमन तेजी से फैलने लगता है.
केंद्र की गाइडलाइन : मौसम गर्मी का है और तापमान 40 डिग्री के पार जा रहा हैं. चिलचिलाती गर्मी से राहत पाने के लिए लोग एयर कंडीशनर और कूलर का उपयोग कर रहे हैं. हालांकि, एसी और कूलर के उपयोग पर कई चिंताएं हैं, खास कर यह कि कोरोनोवायरस महामारी के बीच किस तापमान पर एसी और कूलर उपयोग करें. केंद्र सरकार ने एक 18 पेज की गाइडलाइन तैयार की है जिसमें केंद्र ने सलाह दी है कि देश में कोरोनवायरस के प्रकोप के बीच एयर कंडीशनर और कूलर का अधिकतम तापमान क्या होना चाहिए.
एयर कंडिशनर : गाइडलाइन के अनुसार, घर में चलने वाले एयर कंडीशनर (एसी) का तापमान 24 से 30 डिग्री सेल्यिस के बीच होना चाहिए. आर्द्रता 40 से 70 फीसदी के बीच होनी चाहिए. गाइडलाइन में ये भी कहा गया है कि एयर कंडीशनर की ठंडी हवा का री-साइकल बाहरी खुली हवा के साथ साथ होनी चाहिए. अगर एसी नहीं चल रहा है तब भी कमरों को हवादार रखा जाना चाहिए.
बाष्पीकरणीय या रेगिस्तान कूलर का करें इस्तेमाल : केंद्र की गाइडलाइन में बाष्पीकरणीय या रेगिस्तान कूलर के उपयोग की भी सलाह दी है जो गर्म और शुष्क जलवायु में प्रभावी शीतलता प्रदान करते हैं. अधिकांश वाष्पीकरण वाले कूलर में मूल उपकरण के रूप में एयर फिल्टर नहीं होते हैं. इसके अलावा गाइडलाइन में यह भी कहा गया है की धूल के प्रवेश को रोकने और स्वच्छता बनाए रखने के लिए जरूरी है कि वाष्पीकरणीय कूलर की टंकियों को साफ और कीटाणुरहित रखा जाए. पानी को बार-बार भरा बदला जाए, ताकि वो संक्रमित न हो सके.
कितनी ट्रेनें चलेंगी : अप और डाउन मिलाकर फिलहाल रेलवे 30 ट्रेनें चलायेगी. इनमें से 16 ट्रेनें रोजाना चलेंगी, आठ ट्रेनें हफ्ते में दो दिन, दो ट्रेनें हफ्ते में तीन दिन और चार ट्रेनें साप्ताहिक चलेंगी. रेलवे ने ट्रेनों के स्टॉपेज की सूची भी जारी कर दी है. इन स्पेशल ट्रेनों का बेहतर तरीके से संचालन शुरू होते ही रेलवे दूसरे चरण की ट्रेनों को भी चलाने की तैयारी में है.