अनोखा प्रेम! पति ने पत्नी के लिए बनवाया दूसरा ‘ताजमहल’, लगे 3 साल
प्रेम का प्रतीक ताजमहल का दीदार अब आपको केवल आगरा में ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक शहर बुरहानपुर में भी देखने को मिलेगी.
प्यार में चांद तारे तोड़ने की बात तो गाने में आपने सुनी होगी, लेकिन हकीकत में ताजमहल बनाने वाले बहुत कम होते हैं. प्यार की ऐसी ही बानगी मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक शहर बुरहानपुर में देखने को मिली. जहां पति ने अपने पत्नी के लिए दूसरा ताजमहल बनाया है. जिसे बनाने में करीब तीन साल लगें. प्रेम की नई कहानी लिखने वाले ये शख्स बुरहानपुर के शिक्षाविद आनंद प्रकाश चौकसे हैं. उन्होंने अपना घर हूबहू आगरा में बने प्रेम की निशानी ताजमहल की तरह बनवाया है. उन्होंने ये घर अपनी पत्नी मंजूषा को उपहाल में दिया है.
कैसा है ये दूसरा ताजमहल
इस ताजमहल जैसे घर में 4 बेडरूम, एक किचन, एक लाइब्रेरी और एक मेडिटेशन रूम है. घर बनाने में 3 साल लगे हैं. इन घर में मीनार भी हैं जिसका क्षेत्रफल 90×90 है. जिसे बनवाने के लिए आगरा के कारीगर भी बुलाए गए हैं. घर की गुंबद 29 फीट की ऊंचाई पर है. घर के फर्श राजस्थान के मकराना से बनाया गया है. फर्नीचर मुंबई के कारीगरों ने तैयार किया गया है.
अड़चनों के साथ चुनौतियां भी
दूसरे ताजमहल के बनवाना एक बड़ी चुनौती रही. कई अड़चनें भी आई . लेकिन आनंद प्रकाश चौकसे के विश्वास ने नए ताजमहल को बनाने में आने वाली हर चुनौती का बखूबी सामना किया. ताजमहल जैसा घर बनवाने वाले इंजीनियर ने कठीन टास्क निभाया. खुद आनंद चौकसे ताजमहल देखने गए और उसकी बारीकी का अध्ययन किया.
बुरहानपुर से मुमताज का जुड़ाव
बुरहानपुर के रहने वाले आनंद चोकसे हमेशा सोचते रहते थे कि उनके शहर बुरहानपुर में ताजमहल क्यों नहीं बनाया गया, क्योंकि शाहजहां की पत्नी मुमताज की मौत उसी शहर में हुई थी. कहा जाता है कि ताजमहल का निर्माण ताप्ती नदी के किनारे होना था लेकिन बाद में आगरा में बनाया गया. बता दें कि 1632 में मुगल सम्राट शाहजहां ने यमुना नदी के तट पर एक संगमरमर का मकबरा बनवाया था. इसे उन्होंने अपनी पत्नी मुमताज की याद में बनवाया था. इसमें एक मस्जिद और एक गेस्ट हाउस शामिल है. इसे आज भी दुनिया के 7 अजूबों में से एक माना जाता है. इसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं.