IAF: देश को आयरन डोम की तरह आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम की जरूरत
भारतीय वायु सेना इजरायल के आयरन डोम की तरह डिफेंस सिस्टम खरीद रही है, लेकिन देश को इसकी और अधिक जरूरत है. रुस के साथ हुए समझौते के तहत एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की तीन यूनिट मिल चुकी है और अगले साल तक दो और यूनिट मिलने की संभावना है.
IAF: ईरान-इजरायल के बीच तनाव को देखते हुए भारत को भी आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम की जरूरत है. इजरायल के आयरन डोम की तरह देश में एयर डिफेंस सिस्टम का होना जरूरी है. दोनों देशों के बीच तनाव से भारतीय वायु सेना भविष्य में देश को कैसे और किस तरह सुरक्षित रखेगी इसे लेकर सीखने की जरूरत है. 92वें वायु सेना दिवस के वर्षगांठ समारोह पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भारतीय वायुसेना के नव नियुक्त प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने शुक्रवार को यह बात कही. उन्होंने कहा कि हम आयरन डोम के तरह की एयर डिफेंस सिस्टम खरीद रहे हैं, लेकिन देश को इसकी और अधिक जरूरत है.
रुस के साथ हुए समझौते के तहत एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की तीन यूनिट मिल चुकी है और अगले साल तक दो और यूनिट मिलने की संभावना है. लेकिन मौजूदा समय में हमें अपने महत्वपूर्ण सामरिक महत्व के प्रमुख चीजों की पहचान कर इसे और अधिक सुरक्षित बनाना होगा. वैश्विक स्तर पर संघर्ष को देखते हुए हवाई खतरों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहना होगा और इस दिशा में काम किया जा रहा है. वायु सेना प्रमुख ने कहा कि संघर्ष के कारण वैश्विक सप्लाई चेन बाधित हुआ है और दुनिया में सैन्य ऑपरेशन पर असर पड़ा है. भारतीय सेना इस चुनौती का सामना कर रही है.
सिर्फ उपकरण नहीं ट्रेनिंग पर भी दिया जा रहा है जोर
क्षमता बढ़ाने के लिए वायु सेना सिर्फ सैन्य उपकरणों के खरीद पर ही जोर नहीं दे रही है, बल्कि वायु सैनिकों का कौशल विकास भी किया जा रहा है. वायु सेना विचारों के आदान-प्रदान के लिए कई तरह के अभ्यास करती है. जैसे वायु शक्ति, गगन शक्ति और तरंग शक्ति. इसके अलावा आत्मनिर्भर बनने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. लड़ाकू विमान और अन्य साजो-सामान देश में बनाने का काम चल रहा है.
वायुसेना तेजस, तेजस एमके 2, एएमसीए, अस्त्र, सतह से आकाश में मार करने वाली मिसाइल आकाश और अन्य मिसाइलों का निर्माण कर रही है. हमारी कोशिश स्वदेशी आधुनिक ड्रोन और एयर डिफेंस सिस्टम बनाने का भी है. वायुसेना प्रमुख ने कहा कि हम स्पेस आधारित सिस्टम को भी मजबूत कर रहे हैं. वायुसेना को एसपीएस 3 के तहत नये सैटेलाइट की जरूरत है और इस बाबत इसरो से बातचीत चल रही है. चीन अपनी सीमा पर तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है. चीन का सामना करने के लिए पूर्वी लद्दाख में एडवांस लैंडिंग ग्राउंड और नए एयरबेस का निर्माण किया जा रहा है.