IAAF Emergency Landing Field : युद्ध के मैदान में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए भारत की ओर से आईएएएफ के एक हरक्यूलिस सी-130जे प्लेन का गुरुवार को राजस्थान में पाकिस्तान की सीमा से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर बाड़मेर में सत्ता-गंधव डिवीजन में नेशनल हाईवे-925 पर इमरजेंसी लैंडिंग कराया है. केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और नितिन गड़करी ने आईएएएफ के एक हरक्यूलिस सी-130जे प्लेन ‘इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड' (ईएलएफ) का उद्घाटन किया.
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बता दें कि यह एनएच-925ए पर इंडियन एयरफोर्स के फाइटर प्लेनों के लिए बना पहला ‘इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड' है. इस लैंडिंग फील्ड पर सुखोई-30 एमकेआई फाइटर प्लेन, आईएएफ के एएन-32 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट प्लेन और एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर ने भी ईएलएफ पर ‘इमरजेंसी लैंडिंग' की.
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सरकार की ओर से जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने इंडियन एयरफोर्स के लिए इमरजेंसी लैंडिंग के लिए एनएच-925ए के सत्ता-गंधव डिवीजन के तीन किलोमीटर के हिस्से पर ‘ईएलएफ' का निर्माण कराया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अनुसार, भारत में इस तरह के ‘इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड' के निर्माण से आत्मविश्वास बढ़ा है. यह ‘इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड' न केवल युद्ध के दौरान बल्कि प्राकृतिक आपदाओं के समय भी मददगार होगा.
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आपको बता दें कि इंडियन एयरफोर्स के फाइटर और ट्रांसपोर्ट प्लेन्स ने सबसे पहले अक्टूबर 2017 में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर ‘मॉक लैंडिंग' की थी. यह सुविधा भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत गगरिया-बखासर और सत्ता-गंधव सेक्टर के नवविकसित ‘टू-लेन पेव्ड शोल्डर' का हिस्सा है, जिसकी कुल लंबाई 196.97 किलोमीटर है और इसकी लागत 765.52 करोड़ रुपये है.
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‘पेव्ड शोल्डर' उस भाग को कहा जाता है, जो हाईवे के उस हिस्से के पास हो, जहां से वाहन नियमित रूप से गुजरते हैं. यह प्रोजेक्ट इंटरनेशनल बॉर्डर पर मौजूद बाड़मेर और जालौर जिलों के गांवों के आपसी संपर्क में सुधार करेगी. इसकी पश्चिमी सीमा क्षेत्र में स्थित होने से भारतीय सेना को निगरानी करने में मदद के साथ-साथ बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में भी सहायता मिलेगी.
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ऐसा पहली बार होगा, जब इंडियन एयरफोर्स की ओर से नेशनल हाईवे का इस्तेमाल इमरजेंसी लैंडिंग के लिए किया जाएगा. ईएलएफ का निर्माण 19 महीने के अंदर पूरा किया गया है. इसका निर्माण कार्य जुलाई 2019 में शुरू किया गया था और जनवरी 2021 में यह पूरा हो गया. आईएएफ और एनएचएआई की देखरेख में ‘जीएचवी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड' ने इसका निर्माण किया है.
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