समाज जिसकी अच्छाई की हम अक्सर दुहाई देते है कभी कभी उसका ऐसा चेहरा भी दिखाई दे जाता है जिसके आगे सभी को शर्मसार होना पड़ता है. लेकिन ऐसे में कुछ जागरुक लोग हार कर वापस जाने की बजाय उस रुढ़ीवादी सोच पर ही प्रहार कर उसे बदल देते है. ऐसा ही कुछ हुआ हिमाचल प्रदेश में, जहां एक महिला आआएएस अफसर को मंदिर में हवन करने से सिर्फ इस लिए रोक दिया गया क्योंकि वह एक महिला है.
दरअसल, हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले स्थित शूलिनी माता मंदिर में अष्टमी के मौके पर हवन किया जा रहा था. इस दौरान आईएएस अफसर रितिका जिंदल वहीं कुछ निरीक्षण करने पहुंची. हवन होते देख उन्होंने भी हवन करने के इच्छा जताई. लेकिन, वहीं के कुछ लोगों ने उन्हें यज्ञ करने से यह कहकर रोक दिया कि यहां किसी महिला को हवन करने की इजाजत नहीं है. इस पर महिला आईएएस अफसर ने उन्हें जमकर खरी-खरी सुनाई. और पूजा में भाग लिया.
वही, इस मामले को लेकर रीतिका जिंदल का कहना है कि हम महिला सम्मान की बात करते है, लेकिन वास्तविकता में उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता है. रूढ़िवादी विचारधारा के नाम पर महिलाओं से भेदभाव किया जाता है. इसे वो बर्दास्त नहीं करेगी.
सदियों से चली आ रही आस गलत परंपरा का न सिर्फ आईएएस अधिकारी रितिका जिंदल ने विरोध किया, बल्कि विरोध करने वाले लोगों को उन्होंने समानता का पाठ भी पढ़ाया. अंतत: विरोध करने वालों को बरसों से चली आ रही परम्परा बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसके बाद आईएएस अधिकारी ने हवन में हिस्सा भी लिया. बता दें, इस मंदिर में महिलाओं के जाने और पूजा करने में कोई पाबंदी नहीं है, लेकिन यज्ञ में उन्हें भाग लेने की अनुमति नही है.
दुर्गा पूजा के दौरान हम कन्या पूजन करते हैं, आधी आबादी के सम्मान की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन, कई जगहों पर हम अपनी रुढ़ीवादी सोच से अलग नहीं हो पाते हैं. वहीं, इस घटना के बाद आईएएस रितिका जिंदल ने कहा कि सभी महिलाओं को इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है. और इसे तभी बदला जा सकता है जब खुद महिला इस रूढ़िवादी सोच का विरोध करेंगी.
रितिका जिंदल : बता दें, रितिका जिंदल भारतीय प्रशासनिक सेवा की एक अधिकारी हैं. वो फिलहाल हिमाचल के सोलन में तहसीलदार के पद पर नियुक्त है. वह पंजाब राज्य के मोगा जिले की रहने वाली हैं. साल 2018 में उन्होंने यूपीएससी में सफलता पाई थी.
Posted by ; Pritish sahay