अंजनी कुमार सिंह, नयी दिल्ली: मां ने कहा था कि बेटे सीए की तैयारी करना और तब से ही ठान लिया कि सीए बनना है. इसकी पटकथा ग्यारहवीं में ही लिख दी गयी थी जब गणित के साथ कॉमर्स विषय लिया था. गणित के साथ कॉमर्स विषय में रुचि ने भी इस सफर को आसान बनाने का काम किया. मां की कही बात को पुत्र और पुत्री दोनों ने फॉलो किया और नतीजा जब आया, तो परिवार में खुशी का ठिकाना नहीं रहा. पुत्री जहां सबसे कम उम्र की ऑल इंडिया सीए टॉपर बनी वहीं पुत्र ने 18 वां रैक हासिल कर परिवार और समाज का मान बढ़ाया है.
सबसे कम उम्र में इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स (सीए,CA) की ऑल इंडिया टॉपर नंदिनी अग्रवाल कहती है कि मां की कही बातों पर हम दोनों भाई और बहन ने अमल किया और उसका नतीजा सामने है. मां ने जो बात कही थी, उसमें संभावना भी ज्यादा है. क्योंकि आज सीए की मांग सबसे ज्यादा है. सीए फाइनल के बाद अपना प्रैक्टिस शुरू करने की उम्र 21 साल है, लेकिन नंदिनी 19 साल में ही इस परीक्षा में टॉप की है. इसलिये अपना प्रैक्टिस करने के लिये दो साल इंतजार करना होगा. कहती हैं, नौकरी के लिये प्रतिबंध नहीं है, सिर्फ अपना प्रैक्टिस नहीं कर सकती. ऑफिस नहीं खोल सकती हूं. वैसे अभी प्रैक्टिस करने का मेरा कोई प्लान भी नहीं है. अभी ज्यादा कुछ सोचा भी नहीं है. कैट वगैरह या अन्य तैयारी के विषय में सोच रही हूं, लेकिन अभी कंक्रीट कुछ भी नहीं है.
अपने पेशा को समाज की भलाई के लिये कैसे जोड़ पाऊं उस दिशा में जरूर काम करूंगी. क्या सिविल सेवा में भी जाने का कोई प्लान है, इस पर कहती है कि अभी कुछ ज्यादा नहीं सोचा है, लेकिन समाज के लिये कुछ करने की ललक हमेशा से रही है और उस दिशा में जरूर काम करूंगी. मध्यप्रदेश के मुरैना की रहने वाले सचिन अग्रवाल और नंदिनी अग्रवाल भाई-बहन है. दोनों ने एक साथ परीक्षा पास की है. सचिन भी टॉप 20 में जगह बनाकर खुद को साबित किया है. क्योंकि मां ने इनसे कहा था कि सीए बनना है.
नंदिनी और सचिन सामान्य परिवार से हैं. घर में माता-पिता के अलावा ये दोनों भाई और बहन है. पिता एक टैक्स कंसल्टेंट हैं और मां गृहिणी हैं. सामान्य परिवार के बच्चों की परवरिश जिस तरह से होती है, उसी तरह से इन लोगों की भी हुई है. नंदिनी कहती है, माता-पिता दोनों बहुत ही खुश है. उनकी खुशी को देखकर अपने भीतर एक आत्म संतोष और खुद को गौरवान्वित भी महसूस कर रही हूं. क्योंकि उन लोगों के बताये रास्ते पर चली जिसका परिणाम अब सामने है.
नंदिनी कहती है कि पढ़ाई के लिये छोटे और बड़े शहर में अब कोई विशेष अंतर नहीं रह गया है.मैंने अपनी पूरी पढ़ाई घर पर ही की है. कोचिंग ऑन लाइन जरूर ली, क्योंकि मुरैना में सीए की कोचिंग नहीं है. परीक्षा पास करने के लिये मन में लगन और विश्वास का होना बहुत ही जरूरी है. कई बार ऐसे भी समय आते हैं, जिसमें हताशा का भाव हावी होने लगता है, उस समय खुद पर नियंत्रण रखना जरूरी होता है. साथ ही अपनी पढ़ाई के लिये एक प्लान भी तैयार करना जरूरी होता है. यदि प्लान तैयार हो और रेगुलर पढ़ाई जारी रखें, तो बहुत चीजें आसान हो जाती है. साथ ही परीक्षा का दबाव भी नहीं रहता है. हम लोगों ने भी ऐसा ही प्लान कर तैयारी प्रारंभ की. हां एक बात जरूर है कि छोटे शहरों में जॉब की ऑपर्टूनिटी नहीं है, उसके लिये आपको बाहर का ही रुख करना होगा.
पूरी स्ट्रेटजी बनानी चाहिये और आईसीएसई का जो स्टडी मटेरियल आता है, उससे पढ़ना चाहिये. शुरू से ही अपनी पढ़ाई को लेकर चलना चाहिये. सीए फाइनल के लिये 9 महीने से एक साल तक की पढ़ाई करने का वक्त चाहिये. हालांकि सीए फाइनल की पढ़ाई में उतना समय नहीं मिलता है, क्योंकि आर्टिकलशिप करनी होती है. इसलिये चार से पांच महीने का ही समय परीक्षा के लिये बचता है. इसीलिये यह समय सिर्फ रिवीजन पर देना चाहिये और और उसी अनुरूप रोज का प्लान तैयार करना चाहिये. हम दोनों ने भी इसी तरह से पढ़ाई की है. किस विषय पर कितना समय देना है, यह कैंडिडेट को खुद तय करना चाहिये.
नंदिनी ने कहा कि भाई सचिन ने काफी साथ दिया. वहीं भाई सचिन का कहना है कि उसे नंदिनी का साथ मिला. सचिन बताते हैं कि दोनों के एक ही स्ट्रीम में होने का फायदा मिला. पढ़ाई के दौरान होने वाले कंफ्यूजन को दोनों ने मिलकर सॉल्व किये, जिससे चीजें आसान हो गयी. सचिन भविष्य के बारे में बताते हैं कि वह कैट की तैयारी करेंगे. हमने साथ में ही आईपीसीसी और सीए की तैयारी की. इससे एक दूसरे की कमजोरी और मजबूती का भी पता चलता था. हम लोग आपस में सवालों को सॉल्व करने से लेकर पूछे जाने वाले प्रश्नों पर डिस्कस करते थे. हम दोनों एक दूसरे का समर्थन और आलोचना भी करते थे. इससे तैयारी में मदद मिली.वर्तमान में नंदिनी गुड़गांव में आर्टिकलशिप कर रही है.
Posted by: Pritish Sahay