ICMR ने टाइप-1 डायबिटीज मरीजों के लिए जारी किए नए गाइडलाइंस, जानें आपके लिए कितना है खतरनाक
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भारत में टाइप 1 डायबिटीज रोगियों के नई गाइडलाइंस जारी किए हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन्हें अधिक मधुमेह है, उन्हें संभलकर रहने की जरूरत है.
देश में पिछले 2 सालों से कोरोना महामारी ने तबाही मचा दी है. कई लोग इसकी चपेट में आकर अपनी जान गवा चुके हैं. इसी बीच आज के बिजी शेड्यूल और खानपान के चलते हृदय रोग, मोटापा और डायबिटीज के मरीज बढ़ते जा रहा है. ये लोग संक्रमण की चपेट में अधिक आ रहे हैं. इसी को देखते हुए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भारत में टाइप 1 डायबिटीज के प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है. यह पहली बार है कि रिसर्च निकाय ने टाइप 1 मधुमेह के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इससे पहले टाइप 2 डायबिटीज के लिए गाइडलाइंस जारी की गई थी.
स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने टाइप 1 मधुमेह के मैनेजमेंट के लिए दिशा-निर्देश जारी किए. ICMR दिशा-निर्देश ऐसे समय में आए हैं, जब SARS-CoV-2 महामारी ने डायबिटीज से पीड़ित लोगों को काफी परेशान किया है. इस बीमारी और कोरोना की चपेट में आने के चलते उन्हें मृत्यु दर के लिए उच्च जोखिम का सामना करना पड़ रहा है.
ICMR issues guidelines for the management of Type 1 Diabetes. The guidelines come at a time when the #COVID19 pandemic has disproportionately affected people with diabetes population, exposing them to a high risk for severe illness and mortality. pic.twitter.com/5Kqm0PIk7G
— ANI (@ANI) June 6, 2022
आपको बता दें कि भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी एडल्ट डायबिटीज आबादी का घर है और दुनिया में डायबिटीज से पीड़ित हर छठा व्यक्ति एक भारतीय है. आईसीएमआर ने दिशा-निर्देशों में कहा कि दुनिया में दस लाख से अधिक बच्चों और जवान लोगों को टाइप 1 डायबिटीज है, और अंतर्राष्ट्रीय डायबिटीज महासंघ के हालिया अनुमान बताते हैं कि भारत में दुनिया में टाइप 1 डायबिटीज के सबसे अधिक मामले हैं. आईसीएमआर के अनुसार रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन दशकों में देश में डायबिटीज से पीड़ित लोगों की संख्या में 150 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.
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टाइप 1 डायबिटीज क्या है
टाइप-1 डायबिटीज को ‘इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज’ के नाम से भी जाना जाता है. इस बीमारी में अग्न्याशय (Pancreas) या तो बहुत कम या बिल्कुल भी इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है. ऐसे मरीजों को हर रोज इंसुलिन इंजेक्शन लेना पड़ता है. पिछले कुछ समय में टाइप-1 डायबिटीज के खतरे को बढ़ा देते हैं. इस तरह के डायबिटीज के मामले आमतौर पर बचपन या यंग लोगों में होता है. रिसर्च से पता चलता है कि ऐसे लोगों में कोविड-19 का जोखिम अधिक हो सकता है. इसी को ध्यान में रखते हुए आईसीएमआर ने गाइडलाइंस जारी कर बचाव रखने को कहा है.