कोरोना वायरस का खतरा विश्व पर अब भी बना हुआ है. दुनिया के सौ से अधिक देश वायरस के अत्यधिक संक्रमित डेल्टा वैरिएंट के प्रभाव में हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि डेल्टा वैरिएंट से सुरक्षित कौन है? डेल्टा वैरिएंट की पहचान भारत में हुई थी और इसे अत्यधिक संक्रमित माना गया है.
आईसीएमआर की नयी रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि जो लोग कोरोना से उबर चुके हैं और उन्होंने कोविशील्ड वैक्सीन की दोनों डोज ली हुई है, उनके अंदर डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ इम्युनिटी बहुत अधिक होती है. यह अध्ययन आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ वायरोलाॅजी ने किया है.
इस अध्ययन के लिए तीन तरह के लोगों को शामिल किया गया, जिनमें पहले वैसे लोग हैं जिन्होंने कोविशील्ड की दोनों डोज ली है. दूसरे वो लोग हैं जो कोविड से रिकवर हुए हैं और कोविशील्ड वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके हैं और तीसरे वे लोग हैं जो लोग कोरोना से रिकवर हुए हैं लेकिन उन्हें ब्रेकथ्रू इंफेक्शन हुआ है कप्पा वैरिएंट या डेल्टा वैरिएंट का.
अध्ययन में यह पाया गया कि कोविड 19 से रिकवर होनेवाले लोगों में वायरस के खिलाफ एंडीबाॅडीज ज्यादा था बनिस्पत उनके जिन्होंने कोरोना का वैक्सीन लिया है. अध्ययन के लिए टीकाकरण के चार सप्ताह बाद सीरा एकत्र किया गया, जबकि कोविड से रिकवर होने वालों का सीरा वैक्सीनेशन के दो सप्ताह बाद एकत्र किया गया. अध्ययन में पाया गया कि कोविड से रिकवरी के बाद वैक्सीन की एक या दो डोज लेने वालों में डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ इम्युनिटी बहुत अच्छी थी.
आईसीएमआर के रिसर्च में यह बात साबित हुई है कि स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन भी कोरोना के डेल्टा वैरिएंट पर कारगर है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी डेल्टा और डेल्टा प्लस वैरिएंट को अत्यधिक संक्रामक बताया है और लोगों को इसके खतरे से आगाह किया है.
आईसीएमआर के रिसर्च में इस बात का खुलासा भी हुआ है कि जिन जिलों में कोरोना की दूसरी लहर ने आतंक मचाया था वहां लोगों में वायरस के प्रति एंडीबाॅडीज विकसित हो गयी है इसलिए थर्ड वेव का खतरा इन इलाकों में कम होगा.
Posted By : Rajneesh Anand