अगर कोरोना वायरस का नया वैरिएंट सामने नहीं आता है तो ऐसा संभव है कि देश में कोरोना की तीसरी लहर आये ही नहीं. यह कहना है आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक मनिंद्र अग्रवाल का.
वैज्ञानिक मनिंद्र अग्रवाल ने कहा है कि अगर कोरोना वायरस का और म्यूटेशन होता है तो संभव है कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर का पीक नवंबर महीने में आये और इसकी शुरुआत सितंबर महीने से हो.
साइंटिस्ट मनिंद्र अग्रवाल उस टीम का हिस्सा है जो कोविड महामारी का मैथमेटिकल कलकुलेशन कर रहे हैं और इस बीमारी के वायरस के स्वभाव के बारे में अनुमान लगा रहे हैं. इनका कहना है कि बहुत संभव है कि कोरोना की तीसरी लहर में पहली लहर की तरह केस सामने आये या फिर ऐसा भी संभव है कि संक्रमितों की संख्या में वृद्धि ना हो.
वैज्ञानिक ने पीटीआई के साथ बातचीत में कहा कि अभी जो आंकड़ें हमारे पास हैं उनके आधार पर यह कहा जा सकता है कि अगर वायरस का नया वैरिएंट सामने आया जो अधिक संक्रामक हो तो नवंबर तक हम कोरोना की तीसरी लहर की चरम स्थिति को देख सकते हैं. ऐसी स्थिति में प्रतिदिन के हिसाब से संक्रमण के डेढ़ लाख मामले सामने आ सकते हैं.
केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक कमेटी प्रधानमंत्री को एक रिपोर्ट सौंपी है जिसमें यह कहा गया है कि देश में कोरोना की तीसरी लहर अक्तूबर में चरम पर होगी और इससे बच्चों को बड़ा खतरा है.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट की कमेटी ने कोरोना की तीसरी लहर का अध्ययन करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट के अनुसार देश में सितंबर के अंत तक कोरोना की तीसरी लहर का असर दिखना शुरू हो जायेगा. अक्टूबर में इसका पीक आयेगा. तब ऐसी स्थिति हो सकती है कि देश में हर रोज कोरोना के 5 लाख से ज्यादा मरीज पाये जायें. ऐसे में पूरे देश में दो महीने तक जनजीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो जायेगा. कई जगहों पर लॉकडाउन की भी जरूरत पड़ेगी.
गृह मंत्रालय की कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की तीसरी लहर का सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों पर देखने को मिलेगा, इसलिए अस्पतालों में बच्चों के इलाज के लिए पर्याप्त उपाय किये जाने चाहिए. वेंटीलेटर, डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, एंबुलेंस, ऑक्सीजन का इंतजाम अभी से कर लिया जाना चाहिए.
Posted By : Rajneesh Anand