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आईफॉरेस्ट की रिपोर्ट का दावा-एनर्जी ट्रांजिशन के लिए भारत को चाहिए 900 बिलियन डालर और एक सशक्त रूपरेखा

IFOREST ने अपनी जो नयी रिपोर्ट जारी की है वह जर्मनी, पोलैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसे मुख्य कोयला उत्पादक देशों में जस्ट ट्रांजिशन के अनुभव पर आधारित है.

पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था आईफॉरेस्ट ने हाल में एक रिपोर्ट जारी किया है जिसमें यह कहा गया है कि अगर भारत 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य पूरा करना चाहता है तो उसे एनर्जी ट्रांजिशन पर गंभीरता से विचार करना होगा और इसके लिए रूपरेखा बनानी होगी. साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर भारत 2047 तक ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना चाहता है तो उसे एक रूपरेखा की सख्त जरूरत है. आईफाॅरेस्ट ने दो सीरीज में रिपोर्ट जारी की है जिसमें से एक नाम है-जस्ट ट्रांजिशन फ्रेमवर्क फाॅर इंडिया और दूसरा है-जस्ट ट्रांजिशन काॅस्ट एंड काॅस्ट फैक्टर्स.

रिन्यूएबल एनर्जी की ओर करना होगा रुख

आईफॉरेस्ट ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है कि अगर भारत अगले 30 वर्षों में कोयले से उत्पन्न ऊर्जा की बजाय रिन्यूएबल एनर्जी की ओर रुख करना चाहता है तो उसे लगभग 900 बिलियन डालर की जरूरत होगी. जस्ट ट्रांजिशन के लिए सरकार को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करना होगा जिसके लिए फंड की जरूरत होगी. जिसके तहत 600 अरब डाॅलर की जरूरत नये उद्योगों और बुनियादी ढांचे को विकसित करने में खर्च करना होगा, जबकि 300 अरब डाॅलर का उपयोग कोयला श्रमिकों की मदद और उन्हें अनुदान देने में खर्च होगा. इस रिपोर्ट का उद्देश्य यह बताना है कि चूंकि भारत एनर्जी ट्रांजिशन की ओर अग्रसर हो चुका है और कई क्रांतिकारी कदमों की घोषणा भी हो चुकी है, तो भारत को किस तरह रूपरेखा और रणनीति बनानी चाहिए. किस प्रकार जस्ट ट्रांजिशन यानी खदान क्षेत्र के प्रभावितों को बसाया जाये, उनके लिए रोजगार की व्यवस्था की जाये, इत्यादि.


विदेशों से हासिल किया गया अनुभव

IFOREST ने अपनी जो नयी रिपोर्ट जारी की है वह जर्मनी, पोलैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसे मुख्य कोयला उत्पादक देशों में जस्ट ट्रांजिशन के अनुभव पर आधारित है. आईफाॅरेस्ट ने विदेश के अनुभवों के आधार पर देश में झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे राज्यों में जस्ट ट्रांजिशन की संभावनाओं पर अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की है. आईफाॅरेस्ट की रिपोर्ट का दावा है कि सभी मौजूदा कोयला खदानों और कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को देश में 2050 तक बंद कर दिया जायेगा.

900 बिलियन डालर की जरूरत

एनर्जी ट्रांजिशन के लिए देश को 900 बिलियन डालर की जरूरत तो है लेकिन राशि आयेगी कहां से यह भी एक बड़ा सवाल है. इस संबंध में भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने कहा है कि न्यायोचित परिवर्तन के लिए निजी वित्तपोषण महत्वपूर्ण होगा.

डी-कार्बोनाइजेशन रणनीति की जरूरत

इस संबंध में आईफॉरेस्ट के अध्यक्ष और सीईओ चंद्र भूषण ने कहा है कि भारत के न्यायोचित परिवर्तन ढांचे में केवल कोयला ही नहीं बल्कि सभी जीवाश्म ईंधन क्षेत्रों को शामिल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत को अपनी व्यापक डी-कार्बोनाइजेशन रणनीति की जरूरत है. जिसमें रिन्यूएबल एनर्जी के भंडारण की भी उचित व्यवस्था हो. साथ ही औद्योगिक प्रक्रियाओं में हाइड्रोजन का उपयोग करना, शून्य-उत्सर्जन गतिशीलता को बढ़ाना और उद्योगों सहित अन्य क्षेत्रों में भी ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देना होगा. इसके लिए व्यापक रणनीति की जरूरत है. यही वजह है कि भारत ने COP26 में कोयले को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के कठिन लक्ष्यों का विरोध किया, क्योंकि भारत की कोयले पर निर्भरता बहुत अधिक है, जबकि विकसित देशों की स्थिति इससे इतर है.

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