मौसम विभाग की भविष्यवाणी : इस साल भी ग्रामीण भारत अर्थव्यवस्था के लिए बनेगा ‘सुरक्षा कवच’, फसलों का बंपर होगा पैदावार

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव माधवन राजीवन ने बताया कि 5 फीसदी या उससे भी कम अंतर के साथ लॉन्ग टर्म एवरेज (एलपीए) 98 फीसदी रहेगा. उन्होंने जून से सितंबर के दौरान 4 महीने के बारिश के पूर्वानुमान को जारी करते हुए कहा कि ओडिशा, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और असम में सामान्य से कम बारिश होगी, लेकिन देश के दूसरे भागों में सामान्य या सामान्य से अधिक होने की संभावना है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 17, 2021 7:57 AM

नई दिल्ली : भारत मौसम विज्ञान विभाग ने शुक्रवार को भविष्यवाणी करते हुए कहा है कि वर्ष 2021 में भी पिछले साल की तरह ग्रामीण भारत के किसान ही कोरोना महामारी के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ‘सुरक्षा कवच’ का काम करेंगे. इसका कारण यह है कि देश में 75 फीसदी से अधिक बारिश कराने वाला दक्षिण-पश्चिम मानसून इस साल सामान्य रहेगा, जिसका सबसे अधिक फायदा कृषि क्षेत्र को मिलेगा. देश में खरीफ और रबी फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी का सबसे बड़ा फायदा भारत की अर्थव्यवस्था को मिलेगा और कृषि क्षेत्र ही देश को कोरोना महामारी के असर से उबारेगा.

झारखंड में सामान्य से कम होगी बारिश

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव माधवन राजीवन ने बताया कि 5 फीसदी या उससे भी कम अंतर के साथ लॉन्ग टर्म एवरेज (एलपीए) 98 फीसदी रहेगा. उन्होंने जून से सितंबर के दौरान 4 महीने के बारिश के पूर्वानुमान को जारी करते हुए कहा कि ओडिशा, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और असम में सामान्य से कम बारिश होगी, लेकिन देश के दूसरे भागों में सामान्य या सामान्य से अधिक होने की संभावना है.

कोरोना महामारी में अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत

उन्होंने कहा कि लॉन्ग टर्म एवरेज मानसून 98 फीसदी रहेगा, जो एक सामान्य बारिश है. इससे कृषि क्षेत्र को अधिक फायदा होगा और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत हैं. उन्होंने कहा कि इससे कोरोना महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था के लिए भी शुभ संकेत है. दक्षिण-पश्चिम मानसून को देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था आम तौर पर खेती और इससे जुड़ी गतिविधियों पर बहुत हद तक निर्भर है.

जलाशयों को मिलेगा भरपूर पानी

दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि इस सामान्य बारिश होने की वजह से देश के विभिन्न में बने प्राकृतिक और कृत्रिम जलाशयों को भरपूर पानी मिलेगा. मानसून के दौरान जून से सितंबर तक 4 महीने तक होने वाली बारिश पर ही ये जलाशय में पानी का भरना भी निर्भर करता है. पिछले दो सालों की बरसात में पूरे देश में सामान्य से अधिक बारिश हुई है.

हर महीने पूर्वानुमान जारी करेगा मौसम विभाग

राजीवन ने कहा कि भारत मौसम विज्ञान विभाग अगले 4 महीनों के दौरान हर महीने बारिश का पूर्वानुमान भी जारी करता रहेगा. आईएमडी के चार प्रभागों उत्तर पश्चिम भारत, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत, मध्य भारत और दक्षिण प्रायद्वीप के लिए भी पूर्वानुमान जारी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ला नीना और अल नीनो भारत के मानसून पर प्रमुख प्रभाव डालते हैं.

इस साल अल नीनो का प्रभाव रहेगा कम

उन्होंने कहा कि इस साल अल नीनो के बनने की संभावना कम है. हालांकि, हाल के वर्षों में ला नीना के बाद के साल में आमतौर पर सामान्य बारिश हुई है. मौसम संबंधी पूर्वानुमान व्यक्त करने वाली निजी एजेंसी ‘स्काइमेट वेदर’ ने हाल में कहा था कि इस साल मानसून सामान्य रहेगा. हालांकि, एजेंसी ने कहा था कि जून से सितंबर के दौरान बारिश का एलपीए 103 फीसदी रहेगा. दीर्घावधि औसत के हिसाब से 96-104 फीसदी के बीच मानसून को सामान्य माना जाता है.

Also Read: कोरोना काल में आर्थिक सुस्ती से उबार सकता है ग्रामीण भारत, एग्रीकल्चर जीडीपी ग्रोथ ने तोड़ा पिछले पांच साल का रिकॉर्ड

Posted by : Vishwat Sen

Next Article

Exit mobile version