देश में जहां कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है, तो इस बीमारी को मात देने वाले भी कम नहीं है. इस बीमारी के इलाज की तो अभी कोई खास दवा तो नहीं है, बस धैर्य और डॉक्टरों की सलाह पर अमल करके इससे निजात पाया जा सकता है. कोरोना को मात देने वालों में कुछ छोटे उस्ताद भी हैं, तो कुछ बुर्जुग भी. गुजरात की सबसे छोटी कोरोना वॉरियर्स दो साल की आयशा को नहीं मालूम कि कोरोना क्या है? उसे बस इतना मालूम था कि वो बीमार थी, इसलिए हॉस्पिटल में रखा गया था. बोडेली की रहने वाली आयशा को कोरोना पॉजिटिव होने पर वडोदरा के गोत्री मेडिकल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. आयशा ने कोरोना को हरा दिया है. उसके दादा और बाकी सदस्य भी कोरोना पॉजिटिव निकले थे. हालांकि दादा भी स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं. आयशा के पिता अहमदउल्ला ने बताया कि उसका 13 दिनों तक इलाज चला. –
बुर्जुग ने भी जीती कोरोना से जंग
रायपुर : यहां के एम्स में पिछले दिनों 73 साल के बुर्जुग ने कोरोना से जंग जीत ली. जब वे घर जाने लगे तो वहां के डॉक्टर, स्टॉफ और नर्स उन्हें छोड़ने बाहर तक आये. डॉक्टर ने उनसे पूछा कि आपको कोई परेशानी तो नहीं हुई, तब बुर्जुग भावुक हो गये. ऐसा लगा रहा था कि वे अपने आंसुओं के जरिये डॉक्टरों का आभार व्यक्त कर रहे हों. बाद में उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने कोरोना को मात दी. उन्होंने कहा कि वे डॉक्टर की हर सलाह मानते थे. इलाज के दौरान उन्हें ज्यादा दवा नहीं दी जाती थी, बस एक या दो गोली. इमिन्यूटी बढ़ाने के लिए संतरा और कुछ फल दिये जाते थे. बस उन्होंने धैर्य रखा और इलाज में डॉक्टरों को पूरा सहयोग किया.