216 फीट की स्‍टैच्‍यू ऑफ इक्‍वेलिटी’का उद्धाटन, पीएम मोदी ने संत श्री रामानुजाचार्य को ऐसे किया याद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना के ने शमशाबाद में 11 वीं शताब्दी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की स्मृति में 216 फीट ऊंची 'स्‍टैच्‍यु ऑफ इक्‍वेलिटी' का उद्धाटन किया. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री रामानुजाचार्य के जीवन और उनके संदेश का जिक्र किया.

By PankajKumar Pathak | February 5, 2022 7:24 PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना के ने शमशाबाद में 11 वीं शताब्दी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की स्मृति में 216 फीट ऊंची ‘स्‍टैच्‍यू ऑफ इक्‍वेलिटी’ का उद्धाटन किया. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री रामानुजाचार्य के जीवन और उनके संदेश का जिक्र किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा, वह बराबरी पर भरोसा रखते थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर सरकार की योनजाओं का भी जिक्र करते हुए कहा, सरकार सभी को बराबरी का अधिकार दे रही है. हम ऐसी कई योजनाएं लेकर आयें हैं.

पीएम मोदी ने किया संत को याद 

संत श्री रामानुजाचार्य के जीवन से जुड़े कई प्रसंगों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कैसे वह अपने गुरुमंत्र को सभी को दे दिया. गुरू ने इस मंत्र को गुप्त रखने और किसी को ना देने के लिए कहा था. उन्होंने सबका कल्याण हो इसलिए इसे बांट दिया. संत श्री रामानुजाचार्य की चर्चा देशभर में है.

यह प्रतिमा पंचधातु से बनी है

यह प्रतिमा पंचधातु से बनी है. इसमें सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जिंक शामिल हैं. यह दुनिया में बैठी अवस्था में सबसे ऊंची धातु की प्रतिमाओं में से एक है. यह 54 फुट ऊंचे आधार भवन पर स्थापित है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तेलंगाना पहुंचे, मगर राज्य के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव उनका स्वागत करने से दूर रहे. राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन, केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी और पशुपालन राज्य मंत्री तलसानी श्रीनिवास यादव ने राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री की अगवानी की.

देशभर में घूम- घूमकर समानता और सामाजिक न्याय पर जोर दिया

1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में जन्मे रामानुजाचार्य एक वैदिक दार्शनिक और समाज सुधारक के रूप में प्रसिद्ध हैं. उन्होंने देशभर में घूम- घूमकर समानता और सामाजिक न्याय पर जोर दिया. रामानुज ने भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित किया, और उनके उपदेशों ने अन्य भक्ति विचारधाराओं को प्रेरित किया. उन्हें अन्नामाचार्य, भक्त रामदास, त्यागराज, कबीर और मीराबाई जैसे कवियों के लिए प्रेरणा माना जाता है.

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