बालासोर ट्रेन हादसे के बाद भारतीय रेलवे की खुली कुंभकर्णी नींद, अब हर रिले रूम में होगा डबल लॉक
लवे बोर्ड के आदेश में यह संकेत दिया गया है कि ‘रिले रूम तक पहुंच’ के कारण ‘सिग्नलिंग सिस्टम में हस्तक्षेप हुआ है, जिससे कोरोमंडल एक्सप्रेस बालासोर में लूप लाइन में गई और एक खड़ी मालगाड़ी को टक्कर मारने से दुर्घटना हुई. वइंटरलॉकिंग सिस्टम के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ की गई थी.
नई दिल्ली : भारत में हर साल सैंकड़ों ट्रेन हादसे होते ही रहते हैं, लेकिन इनमें से एकाध ऐसी दुर्घटनाएं होती हैं; जो लोगों के दिल को दहला देती हैं. पिछले शुक्रवार को भी ओडिशा के बालासोर जिले के बहानागा बाजार रेलवे स्टेशन पर भी कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन की विभत्स दुर्घटना ने लोगों का दिल दहला दिया है. यह ट्रेन दुर्घटना इतनी बड़ी है कि भारत की तो बात ही छोड़ दें, अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों के लोगों के दिल दहल गए और उन देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने शोक संवेदना व्यक्त की. लेकिन, दुखद पहलू यह भी है कि भारतीय रेलवे की कुंभकर्णी नींद तब खुलती है, जब देश में कोई बड़ी से बड़ी रेल दुर्घटना होती है. बालासोर ट्रेन दुर्घटना होने के बाद कुंभकर्णी नींद से जागी भारतीय रेलवे ने यह ऐलान है कि अब हर रिले रूम में डबल लॉक लगाया जाएगा.
ट्रेन के परिचालन को नियंत्रित करता है रिले रूम
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे बोर्ड ने शनिवार को ट्रेन के परिचालन संबंधी तंत्र, रिले हट हाउसिंग सिग्नलिंग और लेवल-क्रॉसिंग के दूरसंचार उपकरण और प्वाइंट तथा ट्रैक सर्किट सिग्नल के साथ सभी रिले रूम के लिए ‘डबल-लॉक’ लगाने का आदेश दिया है. बताते चलें कि ओडिशा के बालासोर में दो जून को तीन ट्रेन से जुड़ी दुर्घटना में 280 से अधिक लोगों की मौत के बाद से रेलवे जोन के लिए कई निर्देश जारी किए गए हैं.
सिग्नलिंग सिस्टम में हस्तक्षेप से हुआ बड़ा ट्रेन हादसा
रेलवे बोर्ड के आदेश में यह संकेत दिया गया है कि ‘रिले रूम तक पहुंच’ के कारण ‘सिग्नलिंग सिस्टम में हस्तक्षेप हुआ है, जिससे कोरोमंडल एक्सप्रेस बालासोर में लूप लाइन में गई और एक खड़ी मालगाड़ी को टक्कर मारने से दुर्घटना हुई. वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि इंटरलॉकिंग सिस्टम के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ की गई थी, इसलिए अब इस तंत्र को ‘हस्तक्षेप-रोधी’ बनाना है.
‘सिंगल लॉक’ की चाबी स्टेशन मास्टर के पास रहेगी
रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि यह डबल लॉकिंग सुनिश्चित करेगा कि कोई भी बिना अनुमति के इन स्थानों पर नहीं पहुंच सकता है. रेलवे बोर्ड के आदेश में कहा गया है कि स्टेशन यार्ड में लेवल क्रॉसिंग गेट (गुमटी अथवा केबिन), सिग्नलिंग कक्ष और दूरसंचार उपकरण को रिले हट के रूप में माना जाना चाहिए और जब तक ‘डबल-लॉक’ सिस्टम प्रदान नहीं की जाती है, तब तक वर्तमान ‘सिंगल लॉक’ की चाबी स्टेशन मास्टर के पास रहेगी.
लॉक की चाबी सौंपने का तैयार होगा प्रोफार्मा
रेलवे बोर्ड के आदेश में यह भी कहा गया है कि रेलवे स्टेशन रिले रूम की तरह ही स्टेशन मास्टर द्वारा चाबी जारी करने और जमा करने के संबंध में प्रासंगिक प्रविष्टियां रखी जानी चाहिए. आदेश में कहा गया कि ड्यूटी पर सहायक स्टेशन प्रबंधक (एएसएम) द्वारा चाबी सौंपने अथवा वापस लेने के प्रोफार्मा में एक कॉलम होगा, जिसमें यह निर्दिष्ट किया जाएगा कि जिस स्थान के लिए चाबी रख-रखाव कर्मचारियों द्वारा ली गई थी, उसे ठीक से बंद कर दिया गया है और रख-रखाव कर्मचारियों द्वारा ताला लगा दिया गया है.
घटनास्थल पर चल रहा था काम
बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि प्रारंभिक जांच से जो एक पहलू सामने आया है, वह यह कि दुर्घटना स्थल के पास कुछ काम चल रहा था. उन्होंने कहा कि एक डिस्कनेक्शन मेमो (इंटरलॉकिंग सिस्टम को बंद करने और काम शुरू करने के लिए) और एक रीकनेक्शन मेमो (काम के अंत का संकेत देने वाला सिस्टम का दोबारा संयोजन) स्टेशन प्रबंधक द्वारा प्राप्त किया गया था.
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तकनीशियन ने सिस्टम को दरकिनार किया
रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि सही मायने में तकनीशियन ने सिस्टम को दरकिनार किया, क्योंकि काम पूरा नहीं हुआ था और उसने कोरोमंडल एक्सप्रेस के लिए ‘ग्रीन सिग्नल’ प्राप्त करने के वास्ते लोकेशन बॉक्स में हेराफेरी की. रेलवे बोर्ड का यह आदेश इस प्रकार उचित डिस्कनेक्शन-रीकनेक्शन प्रोटोकॉल निर्धारित करता है, जिसका सिग्नल रखरखाव, मरम्मत, परिवर्तन कार्यों के लिए पालन किया जाना है. दुर्घटना के बाद से रेलवे बोर्ड द्वारा सिग्नलिंग पर जारी किया गया यह तीसरा ऐसा आदेश है.