India Airforce News: 114 फाइटर जेट खरीदेगी भारतीय वायु सेना, भारत में ही बनाए जाएंगे 96 विमान
India Airforce News: आईएएफ (IAF) 114 लड़ाकू जेट हासिल करने की योजना बना रही है. इनमें से 96 का निर्माण भारत में ही किया जाएगा.
India Airforce News: आत्मानिर्भर भारत योजना के तहत भारतीय वायुसेना की ताकत में और भी इजाफा करने की प्लानिंग पर काम किया जा रहा है. इसी कड़ी में आईएएफ (IAF) 114 लड़ाकू जेट हासिल करने की योजना बना रही है. इनमें से 96 का निर्माण भारत में ही किया जाएगा. जबकि, शेष 18 परियोजना के लिए चुने गए विदेशी विक्रेता से आयात किए जाएंगे.
114 MRFA प्राप्त करने की योजना
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय वायु सेना की बाय ग्लोबल एंड मेक इन इंडिया योजना के तहत 114 मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) प्राप्त करने की योजना है. इसके तहत भारतीय कंपनियों को एक विदेशी विक्रेता के साथ साझेदारी करने की अनुमति होगी. बताया जा रहा है कि बोइंग, लॉकहीड मार्टिन, साब, मिग, इरकुत कॉर्पोरेशन और डसॉल्ट एविएशन सहित दुनिया के प्रमुख एयरक्राफ्ट मेन्युफैक्चरर इस टेंडर में शामिल हो सकते हैं.
भारतीय वायुसेना ने की विदेशी विक्रेताओं के साथ मीटिंग
रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि हाल ही में भारतीय वायुसेना ने विदेशी विक्रेताओं के साथ मीटिंग की. इस दौरान मेक इन इंडिया परियोजना को अंजाम देने के तरीके के बारे में चर्चा हुई है. बताया गया कि योजना के अनुसार, शुरुआती 18 विमानों के आयात के बाद अगले 36 विमानों का निर्माण भारत में ही किया जाएगा. इसका भुगतान आंशिक रूप से फॉरेन और इंडियन करेंसी में किया जाएगा. इसके अलावा, अंतिम 60 विमान भारतीय साझेदार की मुख्य जिम्मेदारी होगी तथा सरकार केवल भारतीय करेंसी में भुगतान करेगी. सूत्रों ने मुताबिक, भारतीय मुद्रा में भुगतान से विक्रेताओं को परियोजना में 60 फीसदी से अधिक मेक इन इंडिया सामग्री हासिल करने में मदद मिलेगी.
चीन पर बढ़त बनाए रखने में राफेल ने की थी मदद
बताया जा रहा है कि 2020 में हुए लद्दाख संकट के दौरान आपातकालीन आदेशों के तहत खरीदे गए 36 राफेल विमानों ने चीन पर बढ़त बनाए रखने में काफी मदद की थी. हालांकि, इनकी संख्या पर्याप्त नहीं है. ऐसे में इनकी और ज्यादा खरीदी करने की जरूरत होगी. IAF अपने लड़ाकू जेट्स की जरूरत पूरा करने के लिए कॉस्ट इफैक्टिव सॉल्यूशन की तलाश में है. क्योंकि, वह एक ऐसा विमान चाहती है जिसकी ऑपरेशनल कॉस्ट कम हो और सर्विस ज्यादा मिले.