चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों को बनाया था बंधक! मीडिया रिपोर्ट्स को सेना ने बताया गलत
बीते कुछ दिनों से भारत और चीन की सेनाओं के बीच लद्दाख और उत्तरी सिक्कमी में तनाव की खबरें आ रही हैं. इस बीच, इस तरह की भी खबरें आई थीं कि भारतीय जवानों को चीनी जवानों ने हिरासत में ले लिया. लेकिन बाद में रिहा कर दिया गया. हालांकि, सेना की ओर से कहा गया है कि चीन की ओर से भारतीय जवानों को हिरासत में नहीं लिया गया और न ही उनके हथियार छीने गए हैं.
बीते कुछ दिनों से भारत और चीन की सेनाओं के बीच लद्दाख और उत्तरी सिक्कमी में तनाव की खबरें आ रही हैं. इस बीच, इस तरह की भी खबरें आई थीं कि भारतीय जवानों को चीनी जवानों ने हिरासत में ले लिया. लेकिन बाद में रिहा कर दिया गया. हालांकि, सेना की ओर से कहा गया है कि चीन की ओर से भारतीय जवानों को हिरासत में नहीं लिया गया और न ही उनके हथियार छीने गए हैं.
Also Read: सीमा पर चीन का भारी जमावड़ा, 100 टेंट बनाए, भारतीय सेना ने भी सैनिक बढ़ाए
There has been no detention of Indian soldiers at the China border. We categorically deny this. It only hurts national interests when media outlets publish unsubstantiated news: Indian Army spokesperson Colonel Aman Anand pic.twitter.com/1xx3UhYF0i
— ANI (@ANI) May 24, 2020
भारतीय सेना ने रविवार को बयान जारी कर इस तरह की खबरों का खारिज किया है. सेना ने कहा है कि सीमा पर किसी भी भारतीय जवान को हिरासत में नहीं लिया गया था.इंडिया टुडे ने सेना के सूत्रों के हवाले से लिखा था कि यह एक ब्रीफ डिटेंशन था. जवानों को जल्दी ही छोड़ दिया गया था और उनके हथियार भी लौटा दिए गए थे. एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से खबर दी थी कि आर्मी और आईटीबीपी के के जवानों को चीनी सेना ने हिरासत में लिया और कुछ समय बाद छोड़ दिया. ये भी लिखा है कि भारत और चीन के बीच विवाद की मुख्य वजह बॉर्डर एरिया में कंस्ट्रक्शन (निर्माण गतिविधियां) का काम बताया जा रहा है.
सूत्रों के मुताबिक, बॉर्डर पर दोनों ओर से तैनाती बढ़ा दी गई है. हालात ठीक करने के लिए हर स्तर पर बातचीत जारी है. राजनैतिक, राजनयिक और सेना के स्तर पर मामले को सुलझाने की कोशिश चल रही है. सेना की ओर से अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक सत्र सामने आया है इसलिए प्रभात खबर भारत-चीन विवाद के इस खबर की पुष्टि नहीं करता.
एनडीटीवी ने लिखा है कि सेना की ओर से इस विवाद पर और कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है. बस इतना कहा गया कि गश्त के दौरान चीनी सेना द्वारा न तो सेना और न ही आईटीबीपी के जवानों को हिरासत में लिया गया था और न ही हथियार छीने गए. रविवार शाम तक सेना की ओर से बयान या फिर ब्रीफिंग होने की उम्मीद जताई जा रही है.
ये खबर भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) को लेकर चल रही तनातनी के बीच सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे के लद्दाख दौरे के बाद आया है. बता दें कि सेना प्रमुख ने 23 मई को लद्दाख का दौरा कर शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात कर हालात की जानकारी ली थी. सेना प्रमुख ने लेह स्थित सेना के 14 कॉर्प्स मुख्यालय का दौरा भी किया और उत्तरी कमांड के अधिकारियों से हालात को लेकर चर्चा की थी.
पीएमओ तक पहुंचीं बात
एनडीटीवी के मुताबिक, कुछ दिन पहले पैंगोंग में भारतीय और चीनी सेना के बीच हाथापाई के हालात बन गए थे. इसको लेकर एलएसी पर तनाव की स्थिति बन गई थी. इस विवाद को लेकर एक लम्बी संचार श्रृंखला है जो प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक पहुंच गई है. इस सिलसिले में भारतीय एजेंसियों ने सारे घटनाक्रम का उल्लेख किया है. पीएमओ को भेजी गई इस रिपोर्ट में लिखा है कि जिस पेट्रोल पार्टी को हिरासत में लिया गया था उसमें सेना और आईटीबीपी के जवान शामिल थे. विवाद बढ़ जाने के बाद दोनों पक्षों के कमांडरों की एक बैठक सीमा बुलाई गई और फिर स्थिति को शांत किया गया.