India China Face Off नयी दिल्ली : गलवान घाटी घटना के बाद से भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद को लेकर एक बार फिर दोनों देशों की सेनाएं बात करने को तैयार हुई हैं. 12 अक्तूबर को दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर कमांडर स्तर की वार्ता होगी. भारतीय सेना से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी. अब तक दोनों देशों के बीच 6 दौर की कमांडर स्तर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई भी परिणाम नहीं निकला है.
इसी महीने की शुरुआत में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारतीय और चीनी सेना पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सैनिकों को ‘शीघ्र और पूर्ण रूप से’ पीछे हटाने को लेकर कदम उठाने के लिये सातवें दौर की अपनी वार्ता का कार्यक्रम तय करने पर काम कर रही है. सेना के सूत्र ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि दोनों देशों के बीच 12 अक्तूबर को कमांडर स्तर की वार्ता होगी. उम्मीद जतायी जा रही है कि इस वार्ता में कुछ परिणाम सामने आ सकते हैं.
मंत्रालय ने कहा था कि यह प्रक्रिया मौजूदा द्विपक्षीय समझौते और प्रोटोकॉल के तहत की जायेगी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव की यह टिप्पणी दोनों देशों के बीच एक और दौर की कूटनीतिक वार्ता होने के एक दिन बाद आई है, जो पूर्वी लद्दाख में पांच महीने से जारी गतिरोध को दूर करने के लिये सीमा मामलों पर परामर्श एवं समन्वय के लिये कार्यकारी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) ढांचे के तहत हुई थी.
दोनों पक्षों ने गतिरोध दूर करने के लिये सिलसिलेवार कूटनीतिक एवं सैन्य वार्ता की है, लेकिन अब तक कोई ठोस सफलता हाथ नहीं लगी. छठे दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता 21 सितंबर को हुई थी. इसके बाद उन्होंने कई फैसलों की घोषणा की थी. इनमें अग्रिम मोर्चे पर और अधिक सैनिकों को नहीं भेजना, जमीन पर स्थिति को एकरतफा तरीके से बदलने से दूर रहना तथा मुद्दों को और अधिक जटिल बना देने वाली गतिविधियां करने से बचना शामिल है.
सैन्य वार्ता, विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन से अलग हुई एक बैठक में बनी पांच सूत्री सहमति के क्रियान्वयन का खाका तैयार करने के खास एजेंडे के साथ हुई. श्रीवास्तव ने कहा, ‘कमांडरों की पिछली बैठक में बनी सहमति के मुताबिक दोनों पक्ष अब सातवें दौर की बैठक का कार्यक्रम तय करने पर काम कर रहे हैं, ताकि दोनों पक्ष मौजूदा द्विपक्षीय समझौते और प्रोटोकॉल के मुताबिक एलएसी से सैनिकों को शीघ्र एवं पूर्ण रूप से पीछे हटाने की दिशा में काम कर सकें.’
जयशंकर-वांग की मास्को बैठक में जो पांच सूत्री सहमति बनी थी, उसमें सैनिकों को शीघ्रता से हटाना, तनाव भड़काने वाली गतिविधियां करने से बचना, सीमा प्रबंधन पर सभी समझौतों एवं प्रोटोकॉल का पालन करना तथा एलएसी पर शांति बहाल करने के लिये कदम उठाना शामिल है.
Posted By: Amlesh Nandan.