Indian Army: चीन और पाकिस्तान से सटे सीमाओं पर लगातार मिल रही चुनौतियों के मद्देनजर सरकार ने भारतीय सेना की ताकत को लगातार बढ़ाने की योजना पर काम रही है. इसी कड़ी में भारतीय सेना के बेड़े में लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियार, घातक शस्त्र, स्वार्म ड्रोन के अलावा दूसरे टोही फाइटर्स एवं रात में लड़ने में सक्षम साजोसामान, निगरानी एवं जंबो जेट को शामिल किया जा रहा है. ताकि दुश्मनों के खिलाफ अपनी स्थिति को मजबूत किया जा सकें.
बताते चलें कि हाल के दिनों में अरुणाचल प्रदेश बॉर्डर पर भी चीन ने माहौल खराब करने का दुस्साहस किया था. इसी के मद्देनजर भारतीय सेना अब तकनीक की मदद से आधुनिकीकरण पर भी फोकस कर रही है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में शीर्ष रक्षा सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि महत्वपूर्ण युद्धक क्षमताएं बढ़ाई जा रही हैं, पुराने हथियारों की जगह सिस्टम को अपग्रेड किया जा रहा है. साथ ही टूथ-टु-टेल रेशियो बेहतर करने के लिए सेना के पुनर्गठन के लिए अभियान चल रहा है.
सेना की भाषा में T3R प्रत्येक फाइटर सैनिक की तुलना में आपूर्ति एवं सहयोग के लिए सैन्य कर्मियों का रेशियो होता है. इसको सुधारने का मतलब यह है कि ज्यादा से ज्यादा जवानों की तैनाती जंग के मैदान में मुकाबले के लिए रखी जाए. यही वजह है कि 12 लाख जवानों वाली ताकतवर फौज में नॉन-ऑपरेशनल क्षेत्र में कटौती की जा रही है. सेना का सैलरी और पेंशन बजट भी लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में आधुनिकीकरण के लिए पैसा कम बच पा रहा था. अब सेना ने इस दिशा में ध्यान देना शुरू कर दिया है.
टीओआई की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि पिछले 3 वित्त वर्ष में 91,238 करोड़ रुपये की 61 बड़ी डील फाइनल की गई. इसमें 76,544 करोड़ के 44 समझौते सरकारी PSU समेत घरेलू वेंडर्स के साथ किए गए हैं. इसके अलावा सेना ने इमर्जेंसी खरीद के तहत 68 कॉन्ट्रैक्ट किए. वहीं, 84 और इमर्जेंसी खरीद डील पर बात चल रही है. इसके अलावा, पैदल बटालियन, तोपखाने से संबंधित रेजीमेंट, स्पेशल फोर्स आदि के लिए बड़े पैमाने पर ड्रोन की खरीद के लिए प्रक्रिया चल रही है.
सूत्रों के मुताबिक, मार्च-अप्रैल में स्वार्म ड्रोन के चार सेट मिल जाएंगे. पचास किमी तक के इलाके में नजर रखने वाले इन ड्रोन के हर सेट में 50 ड्रोन होंगे. बताते चलें कि कामकाजी ड्रोन अपने साथ बड़ी मात्रा में विस्फोटक लेकर उड़ते हैं और दुश्मन के ठिकाने पर हमले से पहले टारगेट सिलेक्ट करते हैं और उसके बाद तबाही मचा देते हैं. इससे हमले के सौ फीसदी सफल रहने की संभावना रहती है. इसके साथ ही ऊंचाई वाले इलाकों के लिए 400 ड्रोन लिए जा रहे हैं. जबकि, रेगिस्तान और मैदानी इलाकों के लिए 250 ड्रोन सेना अपने बेड़े में शामिल कर रही है.