PM Modi ने कहा, मुंबई हमले को भारत कभी नहीं भूल सकता, आतंकवादियों को दे रहे मुंहतोड़ जवाब

PM Modi, All India Presiding Officers Conference, 26/11 Mumbai attack, terrorists, Constitution Day प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26/11 की बरसी और संविधान दिवस पर कहा भारत मुंबई हमले को कभी भूल नहीं सकता है. उन्होंने 80 वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा, आज का दिन पूज्य बापू की प्रेरणा को सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिबद्धता को प्रणाम करने का है. ऐसे अनेक प्रतिनिधियों ने भारत के नवनिर्माण का मार्ग तय किया था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 26, 2020 1:48 PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26/11 की बरसी (26/11 Mumbai attack) और संविधान दिवस (Constitution Day) पर कहा भारत मुंबई हमले को कभी भूल नहीं सकता है. उन्होंने 80 वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा, आज का दिन पूज्य बापू की प्रेरणा को सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिबद्धता को प्रणाम करने का है. ऐसे अनेक प्रतिनिधियों ने भारत के नवनिर्माण का मार्ग तय किया था.

देश उन प्रयासों को याद रखे, इसी उद्देश्य से 5 साल पहले 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया था. आज की तारीख, देश पर सबसे बड़े आतंकी हमले के साथ जुड़ी हुई है. 2008 में पाकिस्तान से आये आतंकियों ने मुंबई पर धावा बोल दिया था. इस हमले में अनेक भारतीयों की मृत्यु हुई थी. कई और देशों के लोग मारे गए थे. मैं मुंबई हमले में मारे गए सभी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.

भारत नयी नीति-नयी रीति के साथ आतंकवाद का मुकाबला कर रहा : मोदी

पीएम मोदी ने कहा, इस हमले में हमारे पुलिस बल के कई जाबांज भी शहीद हुए थे. मैं उन्हें नमन करता हूं. आज का भारत नयी नीति-नयी रीति के साथ आतंकवाद का मुकाबला कर रहा है. मैं आज मुंबई हमले जैसी साजिशों को नाकाम कर रहे, आतंक को एक छोटे से क्षेत्र में समेट देने वाले, भारत की रक्षा में प्रतिपल जुटे हमारे सुरक्षाबलों का भी वंदन करता हूं.

70 के दशक में separation of power की मर्यादा को भंग करने की कोशिश हुई

पीएम मोदी ने यूपीए सरकार पर हमला करते हुए कहा, संविधान के तीनों अंगों की भूमिका से लेकर मर्यादा तक सबकुछ संविधान में ही वर्णित है. 70 के दशक में हमने देखा था कि कैसे separation of power की मर्यादा को भंग करने की कोशिश हुई थी, लेकिन इसका जवाब भी देश को संविधान से ही मिला. इमरजेंसी के उस दौर के बाद नियंत्रण और संतुलन का सिस्टम मजबूत से मजबूत होता गया. विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका तीनों ही उस कालखंड से बहुत कुछ सीखकर आगे बढ़े.

Posted By – Arbind Kumar Mishra

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