नयी दिल्ली : भारत-चीन सीमा पर 15-16 जून की रात चीनी सेनाओं से लड़ते-लड़ते कर्नल संतोष बाबू सहित 20 जवान शहीद हो गये. इस लड़ाई में चीन की ओर से भी तकरीबन 40 जवान हताहत हुए, गलवान घाटी में हुई उस रात हिंसक झड़प में कई चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.
इंडिया टुडे ने चीन सीमा पर तैनात सीनियर अधिकारियों के हवाले से बताया कि 5-6 जून की दरम्यानी रात बिहार रेजिमेंट के कमांडेंट ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू 20 जवानों के साथ चीनी सैनिकों से बातचीत करने गये थे. वे वहां पर चीनी सैनिकों को समझौते के तहत पीछे हटाने के लिए वार्ता करने गये थे.
जब कर्नल बाबू वहां पर पहुंचे तो, चीनी सैनिकों का हाव-भाव बदला हुआ था. अमूमन जो सैनिक पोस्ट पर होते थे, उनके बजाय नये सैनिकों की तैनाती की गई थी. कर्नल बाबू जैसे ही वहां पहुंचे चीनी सैनिकों ने धक्का मुक्की शुरू कर दी, लेकिन संतोष बाबू वहां से नहीं हिले और डटे रहे. धक्कामुक्की के बाद चीनी सैनिकों ने उनके और उनके टीम पर पत्थरों से हमला बोल दिया.
शुरूआत में पीएलए के जवानों ने छोटे-छोटे पत्थरों से हमला किया. इसी दौरान संतोष बाबू और पूरी टीम गलवान के ऊपरी छोड़ पर चढ़ गये. संतोष बाबू के ऊपरी छोर पर चढ़ते देख पीएलए के जवाानों ने एक बड़ा पत्थर फेंका, जो कर्नल बाबू के नाक के सामने से जा टकराया. कर्नल बाबू इस दौरान नीचे गिर गये, जिसके बाद भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों पर टूट पड़े.
तीन बार हुई थी हिंसक झड़प– रिपोर्ट्स के अनुसार उस रात भारतीय और चाीनी सेनाओं के बीच तीन बार हिंसक झड़प हुई. पहली बार छोटे-छोटे पत्थरों से हिंसा हुई, वहीं दूसरी बार बड़े पत्थरों से जबकि तीसरी बार हथियारों के जरिए हिंसक झड़पें हुई.
18 जवानों की गर्दन तोड़ डाली- मीडिया रिपोर्ट्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू के शहीद होने के बाद बिहार रेजिमेंट के जवानों का रौद्र रूप सामने आया और चीन के 18 जवानों की गर्दन तोड़ डाली. हालांकि इसमें कितने जवान मारे गये इसकी सूचना चीन ने अभी तक नहीं दी है.
बता दें कि चीन की सीमा पर लगभग 45 साल बाद, भारतीय सशस्त्र बलों के कर्मियों की इस तरह शहादत की पहली घटना है. हिंसक टकराव के दौरान एक अधिकारी व दो जवान शहीद हुए, जबकि 6 चीनी सैनिक भी ढेर हुए हैं. 1975 में अरुणाचल प्रदेश में तुलुंग ला में हुए संघर्ष में चार भारतीय जवानों की शहादत के बाद यह इस तरह की पहली घटना है
Posted By : Avinish Kumar Mishra