India China Border: 2 साल बाद पूर्वी लद्दाख के PP-15 से पीछे हटी भारत-चीन की सेना, क्या बनेगा बफर जोन

एलएसी से भारत और चीन पांच दिनों की प्रक्रिया के तहत अग्रिम मोर्चे के अपने सैनिकों को पीछे के स्थानों पर भेज दिया. इसके साथ ही, वहां के अस्थायी बुनियादी ढांचे को भी ध्वस्त कर दिया गया है.

By ArbindKumar Mishra | September 13, 2022 4:32 PM

भारत और चीन के बीच करीब दो साल बाद पूर्वी लद्दाख में गतिरोध खत्म होता नजर आ रहा है. गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र में गश्त चौकी-15 के गतिरोध वाले स्थान से दोनों देशों की सेना पीछे हट चुकी हैं. सैनिकों के पीछे हटने की पूरी प्रक्रिया पांच दिनों तक चली.

दोनों देशों की सेनाओं ने पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी होने की पुष्टि की

एलएसी से भारत और चीन पांच दिनों की प्रक्रिया के तहत अग्रिम मोर्चे के अपने सैनिकों को पीछे के स्थानों पर भेज दिया. इसके साथ ही, वहां के अस्थायी बुनियादी ढांचे को भी ध्वस्त कर दिया गया है.

Also Read: India China Border: भारतीय सेना ने लद्दाख सेक्टर में सिंधु नदी पर बनाया पुल, चीन को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब

डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों में भी गतिरोध अब भी जारी

भारत और चीन की सेना भले ही गश्त चौकी-15 (पीपी-15) से पीछे हट गए हैं, लेकिन डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों में गतिरोध को हल करने में अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है. भारत और चीन की सेनाओं ने आठ सितंबर को घोषणा की थी कि उन्होंने क्षेत्र में गतिरोध वाले स्थानों से सैनिकों को हटाने के लिए रुकी हुई प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए पीपी-15 से सैनिकों को हटाना शुरू कर दिया है.

क्या पीपी 15 पर बनेगा बफर जोन

भारत और चीन ने टकराव वाले स्थान पर बनाए गए सभी अस्थायी बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया गया है. फिलहाल यह ज्ञात नहीं है कि क्या दोनों पक्ष पीपी-15 पर एक बफर जोन बनाएंगे, जैसा कि पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट पर और पिछले साल गश्त चौकी-17 (ए) पर गतिरोध वाले बिंदुओं से सैनिकों को हटाने के बाद किया गया था. बफर जोन में कोई भी पक्ष गश्त नहीं करता है.

16वें दौर की वार्ता के बाद बनी थी सैनिकों के पीछे हटने पर सहमति

भारत और चीन की सेनाओं ने आठ सितंबर को प्रक्रिया की शुरुआत की घोषणा करते हुए कहा था कि जुलाई में उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के 16वें दौर के परिणामस्वरूप गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र में सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमति बनी.

एलएसी में का दोनों पक्षों द्वारा कड़ाई से पालन होगा

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि समझौता सुनिश्चित करता है कि इस क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का दोनों पक्षों द्वारा कड़ाई से पालन और सम्मान किया जाएगा, तथा यथास्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं होगा. आरंभ में प्रत्येक पक्ष के लगभग 30 सैनिक पीपी-15 में आमने-सामने तैनात थे लेकिन क्षेत्र की समग्र स्थिति के आधार पर सैनिकों की संख्या बदलती रही. भारत लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि एलएसी पर अमन और चैन द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है.

5 मई 2020 को भारत और चीन की सेना के बीच हुई थी हिंसक झड़प

पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध शुरू हुआ था. पैंगोंग झील क्षेत्र में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पिछले साल फरवरी में हुई थी जबकि गोगरा में गश्त चौकी-17 (ए) से सैनिकों और सैन्य साजो सामानों की वापसी पिछले साल अगस्त में हुई थी.

Next Article

Exit mobile version