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ग्लोबल टाइम्स ने उड़ाया भारतीय अ​र्थव्यवस्था का मजाक, कहा- भारतीय कंपनियां नहीं कर सकतीं ‘बायकॉट चायना’

India china border clash,india china stand off, boycott china: पूर्वी लद्दाख की गलवान नदी घाटी में तनाव का स्तर जिस तरह से बढ़ता जा रहा है, उससे चीन की बेचैनी भी साफ सामने आने लगी है. चीन का मुख्यपत्र सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स लगातार भारत के खिलाफ आग उगल रहा है. अब उसने लिखा है कि अगर भारत चीनी उत्पादों का बहिष्कार करता है तो यह आत्मघाती कदम होगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 23, 2020 9:26 AM

India china border clash,india china stand off: पूर्वी लद्दाख की गलवान नदी घाटी में तनाव का स्तर जिस तरह से बढ़ता जा रहा है, उससे चीन की बेचैनी भी साफ सामने आने लगी है. चीन का मुख्यपत्र सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स लगातार भारत के खिलाफ आग उगल रहा है. अब उसने लिखा है कि अगर भारत चीनी उत्पादों का बहिष्कार करता है तो यह आत्मघाती कदम होगा. बता दें कि लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव का असर व्यापार पर दिखने लगा है.

भारत सरकार चीन से आने वाले माल पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने का मन बना रही है. इसे लेकर कॉमर्स मंत्रालय, वित्त मंत्री के साथ बातचीत कर रहा है. पीएमओ ने चीन से निर्यात होने वाले समानों की सूची मंगाई है. केंद्र सरकार की योजना चीन से निर्यात कम से कम करने की है. भारत की सख्ती का असर चीनी कंपनियों पर पड़ने लगा है. यह दावा खुद चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स में छपे लेखों से पता चलता है.

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ग्लोबल टाइस ने लिखा है कि भारत के चीन से भिड़ने का सबसे कारण राजनीतिक है. भारत सरकार ने लॉकडाउन में छूट देना तब शुरू किया जब कोरोना संक्रमण के मामले लगातार तेज होने लगे. सोमवार तक कोरोना का आंकड़ा 4 लाख 10 हजार को पार कर गया. यह दर्शाता है कि भारत की अर्थवय्वस्था अब लॉकडाउन को नहीं झेल सकती है. राष्ट्रवाद की भारत की राजनीतिक पार्टियों में मतभेद के कारण दोनों देशों में विवाद बढ़ता जा रहा है. ऐसे हालात में भारत अगर चीन से भिड़ता है तो उसे अर्थव्यवस्था पर मार झेलनी पड़ेगी.

उसने लिखा है कि दुनिया के वेल्यू चेन को देखते हुए भारत के बहुत से रास्ते नहीं है. अगर वह चीनी उत्पादों का बहिष्कार करता है तो भारत में वो सामान बहुत ही मंहगी कीमत होगी. कई भारतीय उद्योग पूरी तरह से चीन के माल पर निर्भर हैं, वो चीन के सहयोग के बिना अपना उद्योग चला ही नहीं सकते. भारत में लॉकडाउन का जिक्र करते हुए चीन के सरकारी अखबर ने लिखा है कि महीनों की तालाबंदी के बाद भारत की अर्थव्यवस्था डंवाडोल स्थिति में हैं.

अप्रैल में ही निर्यात बढ़ गया जबकि आयात घट गया. विदेशी निवेश(एफडीआई) को भी बहुत गहरा झटका लगा. ऐसी परिस्थिति में जब भारत चीन के साथ तनाव को बढाएगा और चीनी उत्पादों का बहिष्कार करेगा तो यह ठीक नहीं होगा. व्यापार के लिहाज से चीन भारत से काफी आगे है. चीन के साथ निर्यात बंद करना या चीनी निवेश को बंद करना केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी पूर्वी एशिया के लिए संभव नहीं है. लिखा है कि भारत का चीन के साथ वर्षों से व्यापार संबंध है. भारत में उद्योग की वो पद्धति नहीं विकसीत हो सकी है जो चीन को टक्कर दे.

भारत को चेतावनी देते हुए लिखा है कि दोनों देशों के बीच जारी तनाव के दौरान एंटी चाइना मूवमेंट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आत्मघाती कदम होगा.अर्थव्यवस्था को लेकर भारत को समझाइश देने की शक्ल में चीनी मीडिया ने लिखा कि कोरोनोवायरस महामारी के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था को बड़ी अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है. इस वर्ष अर्थव्यवस्थाओं पर बढ़ते दबाव के बीच यदि चीन और भारत सीमा तनाव को कम नहीं करते हैं तो दोनों तरफ के आर्थिक विकास को निश्चित ही भारी नुकसान होगा.

चीनी मीडिया संगठनों को अमेरिका ने दिया झटका

अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने चीन के चार मीडिया संगठनों सीसीटीवी, चाइना न्‍यूज सर्विस, पीपल्‍स डेली और सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स को विदेशी राजन‍यिक मिशन का दर्जा देने का फैसला किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने कहा कि ये चारों संगठन के राजनयिक नियंत्रण में हैं.इस दर्जे के बाद इन संगठनों को अ‍ब अपनी सूचनाएं अमेरिकी व‍िदेश व‍िभाग को देनी होगी.अमेरिका ने यह कार्रवाई ऐसे समय पर की है जब चीनी मीडिया संगठनों ने न केवल अमेरिका बल्कि भारत और ऑस्‍ट्रेलिया के खिलाफ मनोवैज्ञानिक युद्ध छेड़ रखा है.

Posted By: Utpal kant

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