India China Clash, india china border dispute: पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में अदम्य साहस दिखाने वाली बिहार रेजिमेंट को सेना की उत्तरी कमान ने खास अंदाज में सलाम किया है. सेना की उत्तरी कमान एक वीडियो ट्वीट किया है, जिसमें बिहार रेजिमेंट के जवानों के 21 साल पहले कारगिल युद्ध में किए गए योगदान को सैल्यूट किया. द सागा ऑफ #DhruvaWarriors और द लॉइन्स ऑफ #BiharRegiment के हैशटैग के साथ पोस्ट किए गए इस वीडियो में बताया गया है कि वो बैट्स नहीं, वे बैटमैन हैं, वो इस धरती पर लड़ाई के लिए जन्मे हैं.
बता दें कि बिहार रेजीमेंट के ही सैनिक गलवान घाटी में तैनात थे और शहीद हुए थे. शनिवार को ट्वीट किए गए इस वीडियो में लिखा गया हर सोमवार के बाद मंगलवार होगा, बजरंग बली की जय. ‘बजरंग बली की जय’ बिहार रेजिमेंट का वॉर क्राई है. ये उस वक्त के लिए है जब बिहार रेजिमेंट के जवान युद्ध के मैदान में जाते हैं.
https://twitter.com/NorthernComd_IA/status/1274375321848934402
एक मिनट 57 सेकेंड के इस वीडियो में 1857 से 1999 तक के रेजिमेंट के सभी हर्कुलियन मिशन के बारे में बताया गया है. ये उस किस्से को भी बयां करता है जब बिहार रेजिमेंट ने पाकिस्तानी सेना से कारगिल के एक रणनीतिक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था. मेजर अखिल प्रताप कहते हैं कि ये 21 साल पहले बिहार रेजिमेंट ने कारगिल के घुसपैठियों की नाम में दम कर दी थी. वो ऊंचाई पर थे और तैयार थे. वो पूरी हिम्मत के साथ गए और मुकाबला करके लौटे.सेना ने इस दौरान कर्नल संतोष बाबू को भी श्रद्धांजलि दी जो हाल ही में पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में शहीद हुए.
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कर्नल संतोष बाबू 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफीसर थे और वो उन 20 बहादुर जवानों में शामिल थे, जिन्होंने 15 जून को गलवान में शहादत दी थी. गलवान हमले में अपने कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी संतोष बाबू के शहीद होने के बाद बिहार रेजिमेंट के जवानों का रौद्र रूप सामने आया. गौरतलब है कि बिहार रेजिमेंट स्वतंत्रता के बाद भारतीय सेना द्वारा लड़े गए सभी युद्धों का हिस्सा रही है. बिहार बटालियन ने जुलाई की 17 तारीख 1999 को पाकिस्तान सेना के एक रणनीतिक हिस्से पर कब्जा किया था. बिहार रेजिमेंट ने सोमालिया में भारत के संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में भी भाग लिया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अपने सीओ की शहादत से गुस्साये भारतीय सैनिकों ने एक-एक कर 18 चीनी सैनिकों की गर्दनें तोड़ दीं. एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि कम-से-कम 18 चीनी सैनिकों के गर्दनों की हड्डियां टूट चुकी थीं और सर झूल रहे थे. अपने कमांडर की वीरगति प्राप्त होने से गुस्साये भारतीय सैनिक इतने आक्रोशित हो गये कि सामने आने वाले हर चीनी सैनिक का वो हाल किया कि उनकी पहचान कर पाना भी संभव नहीं रहा. बिहार रेजिमेंट के जवानों का यह रौद्र रूप देखकर सैकड़ों की तादाद में मौजूद चीनी भागने लगे और घाटियों में जा छिपे, जिसके बाद भारतीय जवानों ने पीछा कर उन्हें पकड़-पकड़ कर मारा. इस दौरान भारतीय सैनिक चीन के अधिकार क्षेत्र में पहुंच गये थे. जिन्हें बाद में चीन ने वापस भेजा.