India china face off, India china border dispute, india china clash: भारत और चीन के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में बॉर्डर पर सोमवार को हुए हिंसक टकराव का दोष चीन ने भारत पर ही मढ़ा है. चीन के सरकारी अखबार या यूं कहें कि चीन सरकार के अनौपचारिक मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में लिखे एक संपादकीय में भारत पर कई आरोप लगाए हैं. 15-16 जून को सीमा पर दोनों सेनाओं के बीच हुई झड़प में भारतीय सेना के 20 जवानों की मौत हुई है.
लेकिन चीन ने अभी तक अपने नुकसान की जानकारी नहीं दी है. सूत्रों की तरफ से खबर आ रही है कि चीन की तरफ भी हताहत हुए हैं. 40 से ज्यादा चीनी जवान मारे गए हैं. ऐसे में चीन की सरकारी मीडिया के जरिए भारत पर निशाना साधा गया है.
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि भारत सीमा क्षेत्र में बड़े स्तर पर निर्माण कार्य कर रहा है और जबरन चीन की सीमा में भी निर्माण कर रहा है. बावजूद इसके के सीमा विवाद पर द्विपक्षीय वार्ता हो रही है. संपादकीय में लिखा गया है कि दोनों तरफ से कई बार हाथापाई हुई जिसमें चीनी सैनिकों ने भारतीय समकक्षों को रोकने की कोशिश की. सोमवार को हुई झड़प इसी का परिणाम था जिसमें दोनों देशों का नुकसान हुआ
सीमा पर भारत की बंदोबस्ती से तिलमिलाये चीन दावा किया है कि अहंकार और लापरवाही भारत-चीन सीमा पर विवाद का मुख्य कारण है. ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि हाल के वर्षों में नई दिल्ली ने सीमा मुद्दों पर कड़ा रुख अख्तियार किया है जो कि दो गलतफहमियों पर आधारित है. पहला यह कि अमेरिका के साथ बढ़ते सामरिक दबावों के कारण चीन रिश्तों में खटास नहीं चाहता है और दूसरा कुछ भारतीय लोग गलती से ये मान बैठे हैं कि उनके देश की सेना चीन से ज्यादा मजबूत है.
ये गलतफहमियां भारतीय विचारों को प्रभावित कर रही है जिससे उनकी चीन नीति पर दबाव बढ़ा है.अखबार ने लिखा है, भारत को यकीन है कि चीन उसके साथ अपने संबंध खराब नहीं करना चाहता है क्योंकि उसे लगता है हमारे ऊपर अमेरिका का कूटनीतिक दबाव है, इसलिए चीन के पास भारत की भड़कावे की कार्रवाई का जवाब देने की इच्छा शक्ति नहीं है.
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि हम गालवन घाटी में तनाव को कम होते देखना चाहते हैं. हमें उम्मीद है कि भारत लद्दाख सीमा पर तैनात सैनिकों और इंजीनियरों का बेहतर प्रबंधन करेगा. साथ ही, दोनों सेनाओं के अधिकारियों के बीच हुई उच्च स्तरीय बैठक में जो आम सहमति बनी थी उस पर अमल करेगा. अगर हालात शांत हो जाते हैं तो यह दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद साबित होगा. हालांकि, इसके लिए दोनों देशों की सेनाओं को कोशिशें करनी होंगी
अखबार ने लिखा है कि भारत के कुछ अभिजात वर्ग के लोगों का ये मानना है कि अमेरिका ने इंडो-पैसिफिक रणनीति से भारत का परचम लहराया है. 2017 में भारतीय सेना ने डोकलाम में सीमा पार करके चीन की संप्रभुता को चुनौती दी जिसे वहां के लोगों ने खूब सराहा. इसका मतलब यह है कि भारत के संपन्न लोगों की चीन के प्रति मानसिकता खतरनाक है. आगे लिखा कि चीन भारत के साथ उलझना नहीं चाहता और शांतिपूर्वक सीमा विवाद को निपटाना चाहता है. ये चीन की अच्छाई है न कि उसकी कमजोरी. चीन शांति के लिए कैसे अपनी संप्रभुता का बलिदान कर सकता है और नई दिल्ली से आने वाली मुश्किलों के सामने झुक सकता है?
posted By: Utpal kant