भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर तनाव कम होता नजर नहीं आ रहा है. सोमवार देर रात चीन ने भारतीय सैनिकों पर सीमा पार करने और गोलीबारी करने का आरोप लगाया है. रिपोर्ट की मानें तो ताजा झड़प लद्दाख के पैंगोग सो झील के दक्षिणी छोर पर स्थित एक पहाड़ी पर हुई है. आइए इसी बीच आपको भारत के नये ब्रह्मास्त्र के बारे में बताते हैं. देश ने रक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में सोमवार को एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोनस्ट्रेटर व्हीकल (एचएसटीडीवी) का सफल परीक्षण किया.
इस तकनीक के इस्तेमाल से मिसाइलों की स्पीड आवाज से छह गुना तेज हो जायेगी. यानी दुश्मन देश के एयर डिफेंस सिस्टम को इसकी भनक तक नहीं लगेगी और घंटे भर के भीतर दुनिया के किसी भी कोने में दुश्मन के ठिकाने को निशाना बनाया जा सकता है. इस तकनीक को ‘ब्रह्मास्त्र’ कहा जा रहा है. एचएसटीडीवी का परीक्षण सुबह 11.03 बजे अग्नि मिसाइल के जरिये किया गया. डीआरडीओ चीफ सतीश रेड्डी की अगुआई में इस परीक्षण को अंजाम दिया गया. उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने इसके लिए डीआरडीओ को बधाई दी है.
1. अमेरिका
2. रूस
3. चीन
4. भारत
सभी मानकों पर खरा उतरा एचएसटीडीवी, आवाज से छह गुना होगी स्पीड: एचएसटीडीवी ने सभी पैरामीटर्स पर सफलता हासिल की जिनमें दहन कक्ष, दबाव, हवा, व नियंत्रण शामिल है. सफल परीक्षण के बाद उम्मीद है कि डीआरडीओ अगले पांच सालों में हाइपरसोनिकल मिसाइल डेवेलप कर लेगा, जिनकी स्पीड मैक-6 (7408.8 किमी/घंटा) होगी. यह आवाज की रफ्तार (1234.8 किमी/घंटा) से छह गुना अधिक है.
यह होगा लाभ
-बन सकेगा हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल, काफी कम खर्चे में की जा सकेगी सेटेलाइट लॉन्चिंग
-स्क्रैमजेट एयरक्राफ्ट अपने साथ लॉन्ग रेंज और हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलें ले जाने में होगा सक्षम
-एचएसटीडीवी हाइपरसोनिक और लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों के लिए यान के तौर पर किया जायेगा इस्तेमाल
-घंटे भर के भीतर दुश्मन देश का किया जा सकेगा सफाया
बैलिस्टिक: आम मिसाइलें बैलिस्टिक ट्रैजेक्टरी फॉलो करती हैं. यानी उनके रास्ते को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है. इससे दुश्मन को तैयारी और काउंटर अटैक का मौका मिलता है.
हाइपरसोनिक: हाइपरसोनिक सिस्टम कोई तयशुदा रास्ते पर नहीं चलता. दुश्मन को कभी अंदाजा नहीं लगेगा कि उसका रास्ता क्या है. स्पीड इतनी तेज है कि टारगेट को पता भी नहीं चलेगा. एयर डिफेंस सिस्टम इसके आगे पानी भरेंगे.