India-China Border Face-off, india china tension. india china border clash, LAC, Galwan valley: पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारत और चीन के बीच जारी विवाद में कूटनीति और बातचीत ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है.चीनी सेना एलएसी से पीछे हटने लगी है. रिपोर्ट के मुताबिक, गलवान घाटी में चीन ने 1.5 से 2 किमी तक अपने टेंट पीछे कर लिए हैं. ये टेंट चीन ने पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 से पीछे किए हैं. पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 वही जगह से जहां 15-16 जून की दरम्यानी रात भारत-चीन सैनिकों के बीच झड़प हुई थी.
इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि चीन ने ये टेंट डिसइंगेजमेंट (आपसी समझौते) के तहत पीछे हटाए हैं. दोनों देशों की सेना ने डिसइंगेजमेंट पर सहमति जताई है और सेनाएं मौजूदा स्थान से पीछे हटी हैं. इस डिसइंगेजमेंट के साथ ही भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच नियंत्रण रेखा(एलएसी) पर बफर जोन बन गया है. एैसा इसलिए ताकि आगे कोई हिंसक घटना न हो. इसके अलावा दोनों पक्ष अस्थायी निर्माण को भी हटा रहे हैं.
The disengagement of Indian & Chinese troops in Galwan, Ladakh has begun. This is a result of intense diplomatic, military engagement & contacts in the past 48 hours. Details are awaited. These meetings followed PM Modi's visit to Leh where a decisive & firm message was sent out.
— ANI (@ANI) July 6, 2020
बता दें कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच लगातार सैनिकों को पीछे हटाने को लेकर मंथन चल रहा था, ऐसे में ये इस प्रक्रिया का पहला पड़ाव माना जा रहा है. दोनों देशों के बीच कई दौर की कमांडर स्तर की बातचीत हो चुकी है. सूत्रों की मानें, तो दोनों देशों की सेना ने रिलोकेशन पर सहमति जाहिर की है और सेनाएं मौजूदा स्थान से पीछे हटी हैं. दोनों सेनाएं कितना पीछे हटीं है इसकी जानकारी नहीं है.
सूत्रों ने कहा, हमें यह देखना होगा कि क्या पीछे हटने और तनाव कम करने की यह एक स्थायी, वास्तविक प्रक्रिया है. सूत्रों के मुताबिक, दोनों ओर बने अस्थायी ढांचों को हटा दिया गया है. इसका भौतिक रूप से सत्यापन भी किया गया है. रक्षा मामलों के जानकार इसे दोनों देशों के बीच तनाव घटाने की तरफ पहला कदम मान रहे हैं.
भारत और चीन के बीच विवाद खत्म नहीं हो रहा. करीब तीन महीने से जारी इस विवाद में भारत ने चीन को सामरिक, आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चे पर करारा चोट पहुंचाई है. इस बीच, चीन को हरकतों से बाज न आता देख अब केंद्र सरकार एनएसएस अजीत डोभाल को इस मोर्चे पर लगा सकती है. खबरों के मुताबिक भारत चीन से निपटने की जिम्मेदारी डोभाल को सौंप सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार स्पेशल रीप्रिजेंटेटिव (एसआर) तंत्र से सीमा मुद्दा सुलझाने पर विचार कर रही है. इसमें एनएसए अजीत डोभाल और चीन में उनके समकक्ष वांग यी के बीच बातचीत होगी.
Posted By: Utpal kant